कविता

दे दो आदेश फौज को..

दे दो अब आदेश फौज को
मूँह तोड जवाब दे दे
आतंकवाद को
बहुत खेले खुन की होली
अब गोली से भी खेलने दोे
छुपे हुये आतंकियो को
घर में घुस निकालने दो
कभी दिल्ली कभी मुम्बई
अब पाठनकोट को भी
अपना ग्रास बनाया
नफरत से समझने वाला
प्यार की भाषा क्या जाने
इन सारे हमलो से ही
हमारे देश मे हाहाकार मचा
चुप बैठने से नही होने वाला
कुछ देश के लिये करने दो
हुयें हैं शहिद देश के नौजवान
उनका बदला लेने दो |
निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४