नव प्रभात
नई नवेली दुल्हन सी
नव प्रभात की नवल किरण
आलोकित अवनि को करती
शैने:- शैने: समीर संग
आ पहुँची अब आँगन में
गुंजित गीत गुलशन में करते
मधुर मिलंद मन मचा उन्माद
पल पल प्रत्युषपान का पल्लव
कर रहे कब से इंतज़ार
नहीं निशा का रहा नशा अब
कोमल कोमल किसलय पर
मंद-मंद मदमस्त पवन में
तीर तडाग के तरूअर पर।।
ज्यों- ज्यों फैल रही ज्योति
उमंग उठ रही अंतस में
करो कर्म कर्तव्य पथ पर
सदा स्नेह सच सीने में।
— अनमोल
बहुत खूब .