गीत/नवगीत

गीत : ये जिंदगी गुजरे सनम पनाहों में तेरी

तेरे नाम से ही साथी पहचान हो मेरी
ये जिंदगी गुजरे सनम पनाहों में तेरी।।

गम कोसों दूर तुझसे रहें मेरे हमसफ़र
इक याद रहे मुझको बस तेरी रहगुजर
रहती है आरजू यही दिन रात अब मेरी
ये जिंदगी गुजरे सनम पनाहों में तेरी।

तेरे साथ का कमाल है जो मैं बहक गयी
तेरे प्यार की खुशबू से मैं तो महक गयी
यूँ ही सजता रहे गुलशन बहार से तेरी
ये जिंदगी गुजरे सनम पनाहों में तेरी।

जाना न मुझे छोड़कर ऐ मेरे हमनशीं
करती हूँ गुजारिश दिलबर ऐ जांनशीं
जुड़ीं एक ही मंजिल से राहें तेरी मेरी
ये जिंदगी गुजरे सनम पनाहों में तेरी।

तेरे नाम से ही साथी पहचान हो मेरी
ये जिंदगी गुजरे सनम पनाहों में तेरी।।

पूनम पाठक

मैं पूनम पाठक एक हाउस वाइफ अपने पति व् दो बेटियों के साथ इंदौर में रहती हूँ | मेरा जन्मस्थान लखनऊ है , परन्तु शिक्षा दीक्षा यही इंदौर में हुई है | देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी से मैंने " मास्टर ऑफ़ कॉमर्स " ( स्नातकोत्तर ) की डिग्री प्राप्त की है | इंदौर में ही एकाउंट्स ऑफिसर के जॉब में थी | परन्तु शादी के बाद बच्चों को उचित परवरिश व् सही मार्गदर्शन देने के लिए जॉब छोड़ दी थी| अब जबकि बच्चे कुछ बड़े हो गए हैं तो अपने पुराने शौक लेखन से फिर दोस्ती कर ली है | मैं कविता , कहानी , हास्य व्यंग्य आदि विधाओं में लिखती हूँ |

6 thoughts on “गीत : ये जिंदगी गुजरे सनम पनाहों में तेरी

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    तेरे नाम से ही साथी पहचान हो मेरी

    ये जिंदगी गुजरे सनम पनाहों में तेरी। बहुत खूब .

    • पूनम पाठक

      हार्दिक धन्यवाद गुरमेल सिंह जी

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
    लाजवाब सृजन

    • पूनम पाठक

      बहुत शुक्रिया राज किशोर जी

  • लीला तिवानी

    प्रिय सखी पूनम जी, प्रेम रस से सराबोर वासंती ऋतु में यह गीत ऋतुराज वसंत के मानिंद बहार लाया.

    • पूनम पाठक

      धन्यवाद लीला जी , हार्दिक आभार व्यक्त करती हूँ….

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