कविता

कदम बढाते रहें…

अपने जख्मो को दिल में छुपातें रहें
लबो पर खुशी की लकीर बनातें रहें
उसनें क्या कहा मैने क्या सुनी
सभी बातो को अनसुना करते रहें
जिंदगी में आयें मुश्किलो को
हँसकर गलें लगातें रहें
हर मोड पर ठोकर लगतें
फिर भी सम्भलकर चलतें रहें
पहुँचना था हमें उस मंजिल तक
इसलियें कदम को आगे बढातें रहें|

निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४

2 thoughts on “कदम बढाते रहें…

Comments are closed.