मन की व्यथा
ब्यथा अपने मन की
बताऊ तो किसे
बताती भी हू तो
बताकर क्या करू
आज के इस दौर मे
उलझन ही भरा जगत मे
उलझन को सुलझाने मे
मदद गार किसे बनाऊ
हर मोड पर बेखौख
खड़ी सी हो गई
अपनो से जुदा होकर
गैरो सें जुड गयीं
ये समय न जाने किस
मोड पर ला दी
हर दर्द को छुपाकर
मुस्कुराने का राज बता दी|
बिजया लक्ष्मी
अच्छी कविता
व को ब करने की कोई खास वजह है क्या ?