कविता

मैं सिपाही

सरहदों को सुरक्षित रखता रहा।
खुद को यूंही समर्पित करता रहा।

भेद नहीं आता जाति पंथ का
सबको बस इन्सान समझता रहा।

संभल जाओ अब भी न करो वैर
एकता का पाठ ही सदा पड़ता रहा।

आज मैं कल कोई मेरी जगह लेगा
सिपाही बन देश की रक्षा करता रहा।

हैं मेरे भी सपने घरवाले भी मेरे
सर्वोपरि मातृभूमि को समझता रहा।।।

कामनी गुप्ता ***

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |

2 thoughts on “मैं सिपाही

  • विजय कुमार सिंघल

    बढिया !

    • धन्यवाद सर जी

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