गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

 

नया रिश्ता बनाया जा रहा है
मुझे फिर आजमाया जा रहा है ।

मुहब्बत हो गई मुझसे किसी को
मगर मुझसे छुपाया जा रहा है ।

बड़ी बेचैनियां दिल में हमारे
मुझे मिलने बुलाया जा रहा है ।

वफ़ा भी जानलेवा हो न जाए
मुझे इतना सताया जा रहा है ।

हथेली पर हमारा नाम लिख के
जमाने को दिखाया जा रहा है ।

जता करके वफाये धर्म से अब
उसे पागल बनाया जा रहा है ।

— धर्म पाण्डेय