गीतिका/ग़ज़ल

जाने कहाँ गायब हो गई इंसानियत।।

होती है खूब देखकर अब हैरानियत
जाने कहाँ गायब हो गई इंसानियत।।
व्याकुल है मन बहुत,बेदर्द ज़माने से
कोई तो लौटाये दिलो में मासूमियत।।
प्रेम स्नेह अनुराग अपनत्व को समझे
ढूंढ रहा हूँ मैं तो अब ऐसी शख्शियत।।
इंसान बोले दो मीठे बोल है ये काफी
इसी में तो छिपा है सार असलियत।।
धन दौलत जायजाद रखते मायने पर
संवेदनाओ की होती अलग अहमियत ।।
” दिनेश”

 

दिनेश दवे

नाम : दिनेश दवे पिता का नाम :श्री बालकृष्ण दवे शैक्षणिक योग्यता : बी . ई . मैकेनिकल ,एम .बी.ए. लेखन : विगत चार पांच वर्ष से , साँझा प्रकाशन पता : दिनेश दवे , केमिकल स्टाफ कॉलोनी ,बिरलाग्राम, नागदा जिला उज्जैन ..456331..मध्य प्रदेश