परिवर्तन- कहानी
” बहन जी , हम इस लायक नहीं है की आपकी हैसियत के हिसाब से शादी कर सकें …हमारी माली हालत आपसे छुपी नहीं है ,दो लड़कियो का बोझ है मुझ गरीब पर …. किसी तरह सब्जी बेच के गुजरा करता हूँ … मैं दहेज़ कुछ नहीं दे पाउँगा …किराये के मकान में रह रहा हूँ ” टिकोरी लाल ने हाथ जोड़े और आँखों में आंसू लाते हुए तारादेवी से कहा ।
“अरे!भाई साहब .. कैसी बात कर रहें हैं हम भी आप के ही बराबर है , हमें आपकी बीना बहुत पसन्द है..हमें दहेज़ नहीं चाहिए , यह तो मेरी बेटी जैसी है ..आप एक जोड़े में विदा कर दीजियेगा … हमें कुछ नहीं चाहिए “-तारादेवी ने टिकोरीलाल से हाथ जोड़ते हुए कहा
यह बात हो रही थी टिकोरीलाल की बेटी बीना के रिश्ते की , टिकोरीलाल के सब्जी विक्रेता था और उसकी तीन बेटियां थीं ।बड़ी बेटी का विवाह उसने जैसे तैसे दो साल पहले कर दिया था ,अब बारी थी बीना की ।बीना एक खूसूरत लड़की थी ,बारहवीं पास ।कुछ टिकोरीलाल की गरीबी तो कुछ बीना की पढ़ने में रूचि न होने के कारण बीना ने आगे पढाई नहीं की और बारहवीं पास कर के घर में ही सिलाई आदि का काम कर के घर खर्च में मदद करती ।टिकोरीलाल की सबसे छोटी बेटी अभी 7 वीं पढ़ रही थी।
केशव जिसका रिश्ता बीना से हो रहा था वह एक कोरियर कंपनी में डिलवरी बॉय का काम करता था ।घर में केवल माँ थी ,पिता जी कई साल पहले ही गुजर गए थे अत: घर खर्च चलाने के लिए दसवी पास करते ही उसने पढाई छोड़ दी थी और कोरियर कंपनी में काम करने लगा ,वह आगे पढ़ना चाहता था पर मज़बूरी थी काम के कारण समय कम मिलता था । दो ही लोग थे तो खर्चा आराम से चल जाता था ,दिल्ली में मकान अपना था अत: केशव ने थोडा बहुत बैंक बैलंस भी बना लिया था ।
केशव को बीना देखते ही पसन्द आ गई थी ,वह इस बात से भी बहुत खुश था की उसकी होने वाली पत्नी उससे ज्यादा पढ़ी हुई है ।बीना ने भी केशव को पसन्द कर लिया और दोनों का रिश्ता तय कर दिया गया।
तय समय पर केशव और बीना का विवाह सम्पन्न हुआ , बिना दहेज़ के , केशव की तरफ से केवल कुछ गिने चुने लोग गए थे बारात में । विवाह बहुत सादगी और कम खर्च में हुआ ।दोनों परिवार वाले खुश थे , केशव की माँ को बहु मिल गई थी , केशव को सुंदर होने के साथ साथ बारहवीं पास पत्नी ।
सुहागरात वाले दिन बीना और केशव साथ बैठे थे , केशव ने बीना का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा – बीना ! मैं बहुत किस्मतवाला हूँ की की तुम जैसी सुंदर बीबी मिली मुझे , तुम बारहवीं पास हो और मैं दसवी …तुम्हे बुरा तो नहीं लगा अपने से कम पढ़े लिखे लड़के से शादी करते हुए ?”
” उम्म!! नहीं … मैंने कभी ऐसा नहीं सोचा जंहा पापा ने शादी तय कर दी , आप मुझे पसन्द आये.. बस कर ली” बीना ने लापरवाही से हुए कहा
” ठीक है ! अच्छा !बताओ क्या तुम आगे पढ़ना चाहती हो ?”
“नहीं.. मुझ्र पढ़ना कम अच्छा नहीं लगता ” बीना ने संकोच भरे शब्दों में कहा
“ठीक है .. कोई बात नहीं .. इस बारे में फिर कभी बात करेंगे .. अभी पास आओ … आज हमारी सुहागरात है ” इतना कह केशव ने हँसते हुए बीना को अपनी बाँहो में भर लिया ।
केशव , बीना, तारादेवी , टिकोरीलाल आदि सभी इस शादी से बहुत खुश थे , एक महीना कैसे बीत गया यह पता ही नहीं चला । एक महीने बाद एक दिन अचानक केशव एक फॉर्म लेके आता है और बीना को देते हुए कहता है की वह इसे भर दे ।
“क्या है यह ? किसका फॉर्म है यह ?” बीना ने आस्चर्य से पूछा
“एम् बी ए के इंट्रेंस टेस्ट का …मेनेजर साहब की बेटी भर रही है तो मैंने एक तुम्हारे लिए भी मंगा लिया “केशव ने ख़ुशी से चहकते हुए कहा ।
” मुझे नहीं भरना कोई फार्म वार्म … मैं नहीं कर रही पढाई ” बीना ने थोडा नाराज होते हुए कहा
” क्यों नहीं पढ़ना? तुम्हे पढ़ना है … आगे बढ़ना है .. बहुत आगे … बीना ! मेरे पिता जी नहीं थे इसलिए मैं नहीं पढ़ पाया पर मैं चाहता हूँ की तुम आगे पढ़ो और कुछ मुक़ाम हासिल करो , हमारे बच्चों को गरीबी में न रहना पड़े जैसे की हम रहे …” केशव ने बीना को समझाते हुए कहा ।
फिर उसके बाद काफी देर तक बीना को केशव समझाता रहा , अंत में बीना मान गई । फार्म भर दिया , परीक्षा दो महीने बाद होनी थी ।बीना ने पढाई दो साल पहले ही छोड़ दी थी इसलिए अब उसे फिर पढाई करने में थोड़ी परेशानी हो रही थी । अत: केशव ने बीना को कोचिंग दिलाने का निश्चय किया । कोचिंग महंगी थी इसलिए केशव की जमा पूंजी सब ख़त्म हो गई ।बीना को केशव जैसा पति पाके गर्व हो रहा था और वह अपने पति से और प्यार करने लगी थी ।
बीना की कड़ी मेहनत और केशव का साथ , बीना ने दो महीने रात दिन मेहनत की और इंट्रेंस टेस्ट पास कर लिया । अब उसका नंबर एक अच्छे और प्रतिष्ठित कॉलेज में आ गया था ।
केशव बहुत खुश था उसने सारे मोहल्ले में मिठाई बांटी , रिस्तेदार भी केशव और बीना की तारीफ करते नहीं थक रहे थे । परन्तु बीना उदास थी , जब केशव ने उससे उदासी का कारण पूछा तो उसने बताया की –
” मैं पास तो हो गई हूँ पर एडमिशन में मोटा खर्चा होगा , पांच साल का कोर्स है फीस भी बहुत है …बाकी कॉपी किताबो के साथ और खर्चे भी होंगे , वे कैसे पुरे होंगे?.. फिर अंग्रेजी भी कमजोर है मेरी उसकी भी ट्यूशन लेना पड़ेगा ”
” पागल!तुम चिंता मत करो … सब हो जायेगा… बस अब तुम पढाई के बारे में सोचो ” केशव ने जब यह कहा तो बीना मुस्कुराते हुए उसके सीने से लग गई ।
केशव ने ऐडमिशन फीस भरने के लिए अपने गाँव की एकलौती जमीन भी बेंच दी ।तारादेवी थोडा गुस्सा हुई की थोड़ी सी पुस्तैनी जमीन थी गाँव में वह भी बेच दी , परन्तु केशव के समझाने पर की जब बीना की नौकरी लगेगी तो ऐसी दसियो जमीने खरीद ली जाएँगी तारादेवी चुप हो गई ।
अब बीना का एकडमिशन कॉलेज में हो गया था ,अंग्रेजी सीखने के लिए ट्यूशन भी लगवा दिया था। पढाई , ट्यूशन आदि खर्चो को पूरा करने के लिए केशव ने रात में गार्ड की नौकरी भी कर ली थी । दिन में थकाने वाली कोरियर बॉय की नौकरी और रात में जागने वाले गार्ड की नौकरी पर केशव को परवाह नहीं थी वह तो किसी भी प्रकार से बीना की पढाई में कोई रूकावट न आये यह सोचता रहता ।
बीना को पढ़ते हुए तीन साल हो गए थे ,बीना मन लगा के पढ़ रही थी और इधर केशव रात दिन मेहनत कर उसकी पढाई का खर्चा उठा रहा था ।
इस बीच बीना ने एक बच्ची को जन्म दे दिया था , बीना बच्ची को अपनी सास तारा देवी को सौंप कॉलेज चली जाती थी ।एक तरह से बच्ची की देखभाल उसकी सास ही कर रही थी ।इधर समय बीतता जा रहा था ,केशव रात दिन मेहनत करने के कारण कमजोर सा हो गया था बाल भी असमय सफ़ेद हो गए थे परन्तु उसकी हिम्मत नहीं टूट रही थी ,वह बीना को हौसला देता ।बीना की तारीफ सभी रिस्तेदारो से करता , बीना जैसी फर्राटेदार अंग्रेजी पुरे मोहल्ले में कोईं न बोलता ।
आखिर वह दिन आ ही गया जब बिना ने एम्. बी. ए की परीक्षा बहुत अच्छे नम्बरो से पास कर ली थी , केम्पस में ही विदेशी कंपनी द्वारा बीना का चयन हो गया । सैलरी थी एक लाख रूपये महीना ।
केशव तो जैसे आसमान में उड़ रहा था आज उसके सभी अरमान पुरे हो गए थे , कँहा वह कुछ हजार के लिए रात दिन मेहनत कर रहा था और कँहा बीना की एक लाख रूपये महीना की सेलरी , उसे यकीं था की अब उनके दरिद्रता के दिन दूर हो जायेंगे और बच्चों का भविष्य अच्छा हो जायेगा।बीना भी बहुत खुश थी , टिकोरीलाल को तो जैसे यकीं ही न हो रहा था की बीना ऐसा भी कर सकती थी ।
बीना को नौकरी करते 1 साल के करीब होने वाला था , केशव ने गार्ड की नौकरी छोड़ दी थी और कोरियर बॉय का काम ही कर रहा था ।
कुछ महीने बाद बीना का प्रमोशन हो गया ,अब वह ऊँची पोस्ट पर थी । केशव खुश से भी ज्यादा खुश हो गया था , सभी लोग उसके त्याग और मेहनत की तारिफ करते ।
परन्तु इधर कुछ दिनों से बीना का व्यव्हार बदल रहा था , वह बात बात में केशव से चिढ जाती ।बीना अब केशव से सीधे मुंह बात भी नहीं करती, हमेशा उसका गुस्सा चढ़ा रहता । अगर केशव बीना के पास भी आना चाहता तो वह उसे झिड़क देती , बात बात पर ताने देती ।यंहा तक की वह अपनी बच्ची से भी केशव और उसकी माँ को दूर रखती , उसने बच्ची का एडमिशन बोर्डिंग में करवा दिया था । केशव और उसकी माँ को बीना का यह व्यवहार अच्छा नहीं लग रहा था , बिना रोज कोई न कोई बहाना खोजती लड़ने के लिए ।
बीना ने कार ले ली थी पर मजाल था की कभी उसने केशव या उसकी मां को कार में बैठाया हो , वह सुबह कार लेके निकल जाती और रात में वापस आती ।
एक दिन जब केशव के बर्दाश्त की हद हो गई तो उसने बीना से सख्ती से पूछ ही लिया की कारण क्या है बीना के इस व्यवाहर का ? बीना ने उससे कहा की-
“मैं तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहती, मेरा स्टैंडर्ड ख़राब होता है .. ऑफिस में सब मुझ से पूछते हैं की मेरा पति क्या करता है तो मेरा सर शर्म से झुक जाता है की मेरा पति एक कूरियर बॉय है …. मैं तुम से तलाक लेना चाहती हूँ ताकि मैं चैन से रह सकूँ”
केशव के पैरो के नीचे से जैसे जमीन निकल गई हो ,उसे यकीं नहीं हो रहा था की बीना क्या कह रही है ।वह केवल सुन रहा था , बीना बोले जा रही थी ..
” कल को बच्ची बड़ी होगी तो मैं उससे क्या कहूँगी ,की उसका बाप एक दसवीं पास टुच्चा सा कूरियर बॉय है … कितनी शर्म आएगी उसको ….. उसकी छोड़ो मुझे कितनी शर्म आती है सोसाइटी में … जितना तुम कमाते हो उससे ज्यादा तो मेरी कार में पेट्रोल भर जाता है महीने में .. अब सोसाइटी में मेरी इज्जत है स्टेंडर्ड है , तुम्हारे साथ रहने से मेरी बेज्जती होती है .. अब मुझे तुम्हारे साथ नहीं रहना ” बीना ने चीखते हुए कहा और अलमारी खोलने लगी ।
केशव जड़वत सब सुन रहा था ।
बीना ने अलमारी खोल के एक पेपर केशव को देते हुए कहा ” इस पर साइन कर दो … ”
“क्या है यह”? केशव ने सर्द लहजे में पूछा
“तलाक के कागज, मैंने वकील से पहले ही तैयार करवा लिए थे और केस भी डाल दिया है …. मुझे तुम से तलाक चाहिए … जो तुमने मेरे लिए किया उसके बदले यह दस लाख का चैक ” बीना से सपाट शब्दों में कहा
” और सुनो… अब यह मत कहना की तुम मुझे तलाक नहीं दोगे…. यदि तुमने मुझे तलाक नहीं दिया तो मैं तुम माँ बेटे पर दहेज़ प्रताड़ना का केस भी डाल दूंगी … समझे ” बीना ने धमकी भरी आवाज में कहा ।
केशव को समझ नहीं आया की वह क्या कहे ,उससे कुछ बोलता नहीं बन रहा था गला रुंध गया था वह बिना कुछ बोले कमरे से बाहर निकल गया ।
सुबह जब केशव की माँ ने यह बात सुनी तो उसने बीना से बात करनी चाहि परन्तु बीना ने उन्हें भरा बुरा कह के चुप करवा दिया ।यहबात बीना के पिता टिकोरीलाल को जब केशव ने बताई तो उसने यह कह के अपना पल्ला झाड़ लिया की वह अपनी बेटी के मामले में कुछ नहीं कहेगा ।
केशव ने कई बार बीना को समझाने की कोशिस की पंरतु सब बेकार , बीना कुछ भी सुनना नहीं चाहती थी । एक दिन सच में ऐसा हुआ की कोर्ट की तरफ से एक नोटिस मिला जिसमे बीना ने तलाक की अपील की हुई थी और उसमे केशव द्वारा मारपीट का आरोप तो लगा ही था दहेज़ और सारी सेलरी केशव और उसकी माँ पर हड़पने का आरोप भी लगा हुआ था ।
नोटिस पढ़ के केशव की माँ का बुरा हाल था , केशव ने आखरी बार बीना को समझाने की कोशिश की तो बीना ने बिफरते हुएकहा -” मेरी बात कान खोल के सुन लो , तलाक तो तुम्हे देना ही पड़ेगा क्यों की मैं किसी और से प्यार करती हूँ जो मेरा कॉलीग है और मेरी स्टेट्स का है … मेरा और तुम्हारा कोई मेल नहीं है ..बात समझो केशव! मैं तुम्हारे साथ खुश नहीं रहूंगी ”
केशव बीना की बात सुन शून्य की तरफ देखने लगा और कुछ क्षण सोच के उसने काँपते हाथो से पैन लिया और तलाक के पेपर पर साइन कर दिए , साइन करने के बाद उसने बीना की तरफ देखा औरकहा ” सच में अब तुम्हारा स्टेट्स बहुत बड़ा हो गया है ….मैं तुम्हारे लायक नहीं …. ”
-संजय( केशव)