कहानी

कहानी : तह-रुश

नही नही , तह- रुश मेरा नाम नही हैं। यह एक खेल है। इस खेल का आवश्यक खिलाड़ी हूँ मैं। मैं या कोई महिला बिना यह खेल मुमकिन नहीं हैं । हाँ , मैं मिश्रदेश की एक महिला हूँ। और ये तह- रुश यहा का एक अलिखित राष्ट्रीय खेल हैं। बढ़ती हुयी गृहयुद्ध के चलते ये खेल और भी लोकप्रिय होत जा रहा हैं। यूरोपीय देशों मे फैलते चले जा रहा है। मिश्र के नागरिक के लिए ये तो बड़ी ख़ुशी की बात हैं। पूरा दुनिया को खुश होना चाहिये। एक नया खेल का लोकप्रियता बढ़ता जा रहा हैं। पता नहीं फिर भी लोग क्यों डर रहे । यूरोप में जब ये खेल खेला जा रहा हैं तब तो उन देशों के महिलायों को ज़्यादा से ज़्यादा जोड़ा जा रहा हैं। इस खेल के साथ। हमारे देश का महिला-रिफ्यूजीओं से भी ज्यादा एहमियत इन महिलायों को दी जा रही हैं। फिर भी पता नहीं क्यूँ।
कुछ दिनों से स्वीडन के एक शरणार्थी शिविर में ठहरी हुई हूँ मैं। यहाँ पर थोड़ी बहुत अंग्रेजी सीख रही हूँ ताकी खुद की जरुरतों को समझा पाऊं ।दूसरी महिलायों से कुछ अच्छा अंग्रेजी बोल पाने की वजह से सारी महिलाएं मुझे अनुवादक बना के कैंप के दफ्तर में ले जाते हैं। अधिकारियों ने मुझें अंग्रेजी में लिखने-पड़ने के लिए बोलते हैं। पर मैं तो हूँ अनपढ़। मेरा देश में महिलाओं के लिये लिखना पढना गुनाह हैं । बन्द दरवाज़ा के उस पार बैठ के थोड़ा बहुत धार्मिक पुस्तके पढ़ी । इतने में ही हमारा काम चल जाता हैं। और औरत का बाहर जाना तो बिलकुल नापसंद है हमारे देश के पुरूषों को। अब निश्चितरूप से आप पूछोगे कि , तब इस खेल में एक महिला कैसे मुख्य क़िरदार निभाती हैं। हाँ। जरूर होता है। नहीं तो ये खेल खेला ही नहीं जा सकता।
हमारे उपचार के लिये यहाँ पर एक भारतीय महिला डॉक्टर है। उनके साथ एक दिन मुझे एक दफ्तर में ले जाया गया। ये कौन सी जगह है मुझे नहीं पता। डॉक्टर मेम ने बताई की ये लोग सब पुलिस है और हम लोग पुलिस मुख्यालय में आये हैं। एक बड़ा TV के सामने हम लोग जा के बैठते है। कोई एक टेप रेकॉर्डर मेरे सामने रख कर चला जाता हैं । टीवी के पर्दे पर एक विडीओ चालू किया गया। डॉक्टर मेम बता रही है ,” विडिओ में लोग क्या बोल रहे है और क्या कर रहे है वो सुन के मुझे पुलिस को बताना हैं। क्यूँ कि मैं मेरा भाषा – संस्कृति और अंग्रेजी दोनों ही जानती हूँ , इसीलिये। मैं विडिओ देखने लगती हूँ। यहाँ का मार्किट का सामने एक जगह दिख रही हूँ । स्वीडन का जनसख्या मामूली है इसीलिए अक्सर ये जगह खाली सा रहता है। वो खाली जगह आजकल रिफ़्यूजी से भरा रहता है। एक कोने में अचानक भीड़ बढ़ जाता है । दो इस देश का महिलाओं को घेरना शुरू किया है उस भीड़ ने। भीड़ और भी घनी होते जा रही है। वो दो महिलाएं भीड़ में अलग हो जाती है। उन दोनों की डरी हुयी हाहाकर भीड़ का शोर में खो गया। वो शोर और तेज़ हो गया है । “ओहो , ये तो ताह-रुश चल रहा है। ” , अचानक मेरे मुँह से निकल आया ।
हैरान हो कर घूमती हूँ तो देखती हूँ सब स्थिर नज़र से मुझे देख रहे हैं । डॉक्टर मेम मुझे इशारा करती है , मैं फिर से बोलना शुरू करती हूँ। मिश्र का बहुत पसंदिदा एक आदिम खेल है ये। एक साथ बहुत सारे पुरुषों ने एक महिला को चुनते है और उसे घेर लेते है। महिला की पोषाक से ले के उसकी सब कुछ छेड़ना शुरू हो जाता है। कोई उसकी सीने को अपना सिना से धक्का देता है तो कोई उसकी पीछे का कपड़ा खींच के फाड़ देता है। किसी ने हाथ पकड़ के खींचता है तो किसी ने उसकी खुले स्तन पर हाथ मरता है। वो महिला शर्म से डर से कांपने लगती है। पुरुषों ने उतना ही उसे और नंगा करने लगते है । न न। हमला मत बोलिये इसे। ऐ तो बस एक खेल है। विडिओ देखिये कितना जयकार कर रहे है सारे पुरुष मिलकर। पूरा भीड़ सागर के लहरों जैसे सामने की गैराज में घुस जाते है। लहर ने उन दो महिलाओं को भी बहा ले गई ।
“क्या हुआ? क्यूँ चुप हो गयी ?”. नहीं नहीं डॉक्टर मेम, चुप नहीं हुई । चुप कैसे हो जाऊं? मैं तो बंध आँखों से भी देख पा रही हूँ , उन महिलायों के साथ अभी खेल का कौन सा चरण चल रहा है। नियमानुसार वो दोनों अब पूरी तरहा से नंगी है। भीड़ और भी बढ़ गई है । सभी ने नौचंना चाहता है इस नये देश की दो नई औरतों के शरीर को। शायद वो दोनों चिल्ला चिल्ला के विरोध कर रहे हैं। क्यूँ की इस देश में उन्होंने कभी ये खेल नहीं खेले है। इसीलिए वो इसे गलत सोच रहे है। हाँ , विरोध भी होता है इस खेल में , वह भी कुछ पुरुषों ने ही किया है। बाकि लोगो ने उस बाधा को हटा कर महिला के और नज़दीक होते है। स्तन योनि नितम्ब। महिला की ये सारे अंशों को नोंच नोंच के अपने जित का आनंद दुगना कर लेते है। बिरोध करनेवाले इस खेल में हमेशा ही हारते है। यही नियम है। विडिओ में अभी कोई दिखाई नहीं दे रहा है। गराज के अंदर से सिर्फ जयकार और जयकार सुनाई दे रही है । उफ्फ पेट की निचली हिस्सा जैसे दर्द के मारे अभी फट जायेगा लगता है।
ऑंखें खोलती हूं तो देखती हूं मैं कैंप में अपने बिस्तर पर लेटी हुई हु। डॉक्टर मेम मेरा सर पर हाथ सहला हैं। वह बोली, पुलिस हैडक्वार्टर में मैँ अचेतन हो गयी थी। पेट दर्द के मारे। उस दिन के तरह जिस दिन उन्होंने पहली बार मेरा उपचार किया था जब मैं इस कैंप में पहुंची थी। दर्द क्यूँ नहीं होगा डॉक्टर मेम ? आतंकवादी शिविर में हर रोज घटने वाला गन बलात्कार के हिस्सा बनने से पहले भी दो दो बार मुझे तह-रुश खेल का मुख्य किरदार निभाना पड़ा। आपको पता है , वो दो महिला को अभी हर चरण मे जो जो खेलना पड़ रहा है, बिलकुल ऐसा ही मुझे भी खेलना पड़ा था। एक बार तो एक पुरुष ने जेब से चाकू निकल कर मेरी योनि के अंदर चाकू का खेल खेलने लगा था। भीड़ के बाकि लोगो ने तब मेरा हाथ पैर सब पकड़ रखा था। कुछ लोग मेरे होठ, स्तन शरीर की बाकि हिस्सों को लेकर खेल रहे थे। मैं उस समय डरी नहीं थी। डरता हुआ दिखना तो उस खेल का एक हिस्सा है।
इस कैंप की महिलायों से उनकी कहानियां सुन सुन के डॉक्टर मेम भी हमे भारत की कहानी बताती है। उन्होंने कहा , उस देश में खाप पंचायत गणबलात्कार का राय देता है। दलित समाज के पुरुष के अपराध का दण्ड निर्णय ऐसा होता है की , उनका घरवाली को बलात्कार करेगा उच्च वर्ण के पुरुष। कही कही तो पंच के सामने ही सामुहिक बलात्कार करने का आदेश दिया जाता है। ऐसा यहां अक्सर ही होता रहता है। फूलन नाम की एक दलित महिला के साथ उच्चवर्ण के पुरुषों सामुहिक बलात्कार किया था। मेम ने बताया फूलन ने बाद में उन सारे लोगो को मार डाला था। नहीं नहीं मेरे देश में ऐसा उल्टा खेल नहीं होता है मैम। और भी तो कितने सारे देशों में खुले आम यौन उत्पीड़न का खेल होता है। सभी देशों के ये बात खबर में नहीं आती है । पर खेल के नियम एक ही होता है अकसर। महिला उसकी शारीर के साथ लज्जा भी बचाना चाहती है और ये विकृत मानसिकता वाले पुरुष उसकी शरीर और शर्म को नग्न करते हैं| तह-रुश — एक आदिम सामूहिक यौन उत्पीड़न का एक अलंकारिक नाम।
कल सुबह डॉक्टर मेम आने पर इस बात की चर्चा करनी जरुरी है। अच्छा मेम, इतने देशो में जब ये खेल होता है , तब क्या इस खेल को अलिम्पिक क्रीड़ा में विधिवत किया जा सकता है? अलिम्पिक क्रीड़ा में भी इस खेल का नियम एक ही रखना होगा मेम। सिर्फ किरदारों के स्थान बदल जायेगा इस बार। अत्याबश्यक एक मात्र खिलाडी होगा एक पुरूष।
— सोमा बिश्वास

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