फूल बनकर जिंदगी में सवरने लगी
देखते देखते तूँ कली बन सवरने लगी।
फूल बनकर हर गली में महकने लगी।
इस सुगंध का ऐसा असर हुआ मुझपर,
मेरे ख्यालों में खुशबुएं बिखेरने लगी।
अब कोइ नहीं रहा तुम्हारे सिवाय मेरा,
जिंदगी के सफर में संग गुजरने लगी ।
तुझे जब से देखा था, मैं इस जहां में,
तब से मेरे दिल में खूब मचलने लगी।
ढुढता हूँ तुझे धरती -गगन एक करके,
इस वक्त तुम इधर-उधर बहकने लगी।
देखते ही देखते तूँ सज-धज-कर यहाँ,
फूल बनकर जिंदगी में सवरने लगी।
@रमेश कुमार सिंह
०६-०१-२०१५
वाह वाह वाह वाह वाह
वाह वाह वाह वाह वाह
सादर धन्यवाद आदरणीय!!
देखते ही देखते तूँ सज-धज-कर यहाँ,
फूल बनकर जिंदगी में सवरने लगी। वाह वाह ,सुनैहरे खियाल जवानी के .
आभार आदरणीय!!