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हमारा साहस ही हमारा संबल है

यमुना नदी के किनारे सफेद पत्थरों से निर्मित अलौकिक सुंदरता की तस्वीर आगरे का ‘ताजमहल’ न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुका है. भारतीय इतिहास के पन्नो में यह लिखा है कि ताजमहल को शाहजहां ने मुमताज के लिए बनवाया था. वह मुमताज से प्यार करता था. दुनिया भर में ताजमहल को प्रेम का प्रतीक माना जाता है. यह कितने सालों में बना और कितने हज़ार मज़दूरों ने इसमें काम किया, यह सब तो आप जानते ही हैं.

यह तो रही इतिहास की बात जिसमें ‘ताजमहल’ बनाया नहीं गया, बनवाया गया. आज हम बात कर रहे हैं, साहस के संबल पर कुछ बनाने की.

मध्य प्रदेश के सागर जिले के हंसुआ गांव के चैन सिंह और उसकी पत्नी बिरमा ने अपने घर के आसपास कई पेड़ लगा रखे हैं. इन पेड़ों को वे नियमित रूप से सींचते आ रहे हैं. एक दिन बिरमा हैंडपंप पर पानी भरने गई, तो वहां मौजूद कुछ महिलाओं ने उससे कहा कि लोगों को तो पीने को पानी नहीं मिल रहा और तुम पेड़ों में डालकर पानी बर्बाद कर रही हो? बस इस एक ताने ने चैन सिंह को तब तक चैन नहीं लेने दिया, जब तक कुआं तैयार नहीं हो गया और उसमें से पानी नहीं निकल आया. उसने ठान लिया था कि अब वह अपनी मेहनत से कुआं खोदेगा. चैन सिंह के मुताबिक, उसने लगभग दो महीने की मेहनत से 15 फुट चौड़ा और 25 फुट गहरा कुआं खोद दिया है. इसके लिए उसने नीचे उतरने के लिए रस्सी में लकड़ियां फंसाकर सीढ़ी बनाई और सब्बल व अन्य औजारों के बल पर उसने यह कुआं खोदा है. मेहनती किसान बताता है कि कुएं के अंदर से मलबा बाहर लाने की कोशिश में वह घायल भी हुआ, मगर उसने हिम्मत नहीं हारी. अब कुएं से पानी निकल आया है तो उसे इस बात का संतोष है कि उसकी मेहनत सफल रही और अब कुएं के पानी से अपने पेड़ों की सिंचाई कर पा रहा है.

चैनसिंह की पत्नी बिरमा भी इस बात से खुश है, कि उसके पति ने उसकी पेड़ों की सिंचाई की इच्छा पूर्ति के लिए कुआं ही खोद दिया. अब वह कुएं के पानी से अपने घर के पेड़ों की सिंचाई कर रही है. चैन सिंह ने बगैर प्रशासनिक मदद के यह काम कर दिखाया है और वह इस कुएं को गहरा किए जा रहा है. जब उसने काम शुरू किया था, तब ऐसा लगता नहीं था कि कुएं में पानी आएगा, उसकी मेहनत रंग लाई और कुएं में पानी आ गया. नेक इरादा, कठिन परिश्रम, साहस का संबल जब एक साथ मिल जाते हैं, तो चैन सिंह को चैन आ जाता है.

यह सच है, कि साहस हम सबके भीतर मौजूद है, ज़रूरत है उस साहस को जगाने की. एक बार जब साहस जग जाता है, तो वही साहस हमारा संबल बन जाता है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

6 thoughts on “हमारा साहस ही हमारा संबल है

  • जवाहर लाल सिंह

    यह सच है, कि साहस हम सबके भीतर मौजूद है, ज़रूरत है उस साहस को जगाने की. एक बार जब साहस जग जाता है, तो वही साहस हमारा संबल बन जाता है.प्रेरणादायक लेख!

    • लीला तिवानी

      प्रिय जवाहरलाल भाई जी, सही है, एक बार बस साहस को जगाने की ज़रूरत है. अति सार्थक व सटीक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • लीला बहन , इस सुन्दर प्रेर्नादायेक लेख के लिए धन्यवाद . बस साहस की ही सब को जरुरत है, यही एक साधन है आगे बढ़ने का , और मुश्किलें आसान हो जायेंगी .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. अति सुंदर व सटीक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

  • अर्जुन सिंह नेगी

    प्रेरणादायक लेख, मुझे लगता है की हमें अपने साहस को पहचानना चाहिए तभी कठिन से कठिन कार्य भी पूर्ण हो सकता है

    • लीला तिवानी

      प्रिय अर्जुन भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. अपने साहस को पहचानना ही सही मंज़िल तक पहुंचाता है. अति सुंदर व सटीक प्रतिक्रिया के लिए आभार.

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