पायल/पाज़ेब
ज्यूँ
सुन
कर्कशा
स्मर-दशा
पाजेब धुन
संगी परदेशी
व्ययन रत्नप्रभा{1}
>>>>>>>>>.
म्हा
नन्हीं
सुयशा
क्रोध-वशा
ध्वनी पायल
पहने डोलत
इत उत सुकेशा {2}
ज्यूँ
सुन
कर्कशा
स्मर-दशा
पाजेब धुन
संगी परदेशी
व्ययन रत्नप्रभा{1}
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म्हा
नन्हीं
सुयशा
क्रोध-वशा
ध्वनी पायल
पहने डोलत
इत उत सुकेशा {2}
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अति सुंदर पिरामिड
बहुत बहुत धन्यवाद आपका
प्रिय सखी विभा जी, अति सुंदर कविता के लिए आभार.
_/_ आभारी हूँ सखी जी