कविता

पायल/पाज़ेब

 

ज्यूँ
सुन
कर्कशा
स्मर-दशा
पाजेब धुन
संगी परदेशी
व्ययन रत्नप्रभा{1}

>>>>>>>>>.

म्हा
नन्हीं
सुयशा
क्रोध-वशा
ध्वनी पायल
पहने डोलत
इत उत सुकेशा {2}

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ

4 thoughts on “पायल/पाज़ेब

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    अति सुंदर पिरामिड

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      बहुत बहुत धन्यवाद आपका

  • लीला तिवानी

    प्रिय सखी विभा जी, अति सुंदर कविता के लिए आभार.

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      _/_ आभारी हूँ सखी जी

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