पिता
पिता वह हैं जो खुद पुराने वस्त्रों को पहनता हैं
अपने बच्चों को नये कपड़े पहनाता हैं
पिता वह हैं जो मेहनत कर पैसा जोड़ता हैं
अपने बच्चे को प्रायवेट स्कूल में पढ़ाता हैं
पिता वह हैं जो खुद कहता हैं पेट भरा हैं
अपने बच्चे को होटल में खिलाता हैं
पिता वह हैं जो मेहनत मजदूरी करता हैं
अपने बच्चे को बड़ा अफसर बनाता हैं
पिता वह हैं जो सारा दिन काम करता हैं
अपने बच्चे की हर इच्छा पूरी करता हैं
पिता वह हैं जो हर दिन संघर्ष करता हैं
अपने बच्चे को खुद से ज्यादा चाहता हैं
वह पिता तब टूटकर बिखर जाता हैं
जब बच्चा उस पिता को भला बुरा कहता हैं
पिता वह है जो जिंदगी भर अपने बच्चे की
छोटी से छोटी जरुरतो को पूरा करता है
आज बेटा जब बड़ा अफसर बन जाता है
तब उस पिता को भूल जाता हैं
आज पिता से मिलने नहीं आता
विदेश से हर माह पैसे भेज देता हैं
पिता वह हैं जो सब कुछ चुपचाप सहता हैं
पिता वह हैं जो किसी से कुछ नहीं कहता हैं
एक दिन वह पिता दुनिया छोड़ चले जाता हैं
वह पिता ही हैं जो आज याद बहुत आता हैं।
— शिवेश अग्रवाल ‘नन्हाकवि’