कविता

कविता : स्मृति

एक बार फिर से
चल चित्र की भाँति
विगत का कुछ धुंधला
स्मरण………..
चित्रवत उभरने लगा है
जब भी अकेलापन घेरता है
ऐसा ही होता है ।
चाह नही होती फिर भी…
बहुत दूर तक लुढ़कने लगती हूँ ।
और यादों का ये अंधेरापन
उजाले को छोड़कर हर स्मृति को
एक दुसरे से जोड़ते हुए
आगे की ओर बढता है ।
पर जैसे हीं……..
मंथन का कोई थपेड़ा
झकझोरता है वैसे हीं कोई
सुखद स्मृति बूंद की तरह
छलकती हुई बाहर आकर
अंधेरे मे चमक उठती है ।
ए काश….
वो स्नेहिल स्पर्श  एक बार
विगत से बाहर आ सामने
पास खड़ा होता,
एक बार फिर से !!
प्रमिलाश्री

प्रमिला श्री

नाम- प्रमिला तिवारी शिक्षा - एम.ए (इतिहास ) शास्त्रीय संगीत रत्न पता शान्ति काँलोनी, सराय ढ़ेला धनबाद, (झारखण्ड) पीन 828127 फोन 9835145730, 8252361752 ,03262207862 सम्प्राप्ति गृहणी घर पर संगीत शिक्षा देना, संगीत से प्रकाशित कृत्तियां : साझा कविता संग्रह, कव्य सुगंध भाग 2 ; सहोदरी सोपान,गुंज, लोक जंग एवं विभिन्न पत्रिकाओं मे रचनाऐं प्रकाशित, सभी रचनाओं मे अर्पित मन की सहज अभिव्यक्ति धनबाद उपायुक्त द्वारा सम्मान प्राप्त, 2002 के दशक मे गीत लिखना, लयबद्ध कर गाना !!॥

One thought on “कविता : स्मृति

  • रीना मौर्य "मुस्कान"

    waah .. bahut hi sundar

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