कविता

जब से मिली हूँ

जब से मिली हूँ तुमसे
भूलकर सभी गमो को
खुशियों को अपनायी हूँ
साथ तेरा पाकर लगे जैसा
रब का साथ पायी हूँ
प्यार कभी कम न हो
ये खुदा से फरियाद लगायी हूँ
साथ कभी न छुटे तेरा
बस यही मैं चाहती हूँ
जब हमदोनो मिलते है
बागो के फूल खिल जाते है
फूलो के खुश्बू आकर
अपना रंग जमाते है
चॉद के नूर सा रौशन चेहरा देख
चॉद भी शरमाते है
मै तो तेरा प्रेम प्यासी
भूल कर सारी दूनियॉ को
बस तुम्हे ही देखा करती हूँ|
      निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४