कन्याकुॅवारी….
कन्याकुँवारी….
उम्र भयी अब ,
वर की चिंता ,
घर की पूँजी ,
दॉव लगाए ,
है…बाजार ,
बिकता यहाँ दूल्हा,
कीमत लटकाए ,
आस लगाए,
खर्चें दस हैं ,
तेवर ग्यारह ,
देखा-देखी ,
नौटंकी सारा ,
गुण हैं छत्तीस ,
दाँत हैं बत्तीस,
नुस्ख़ निकाले ,
बाज ना आए,
मुख से बोलो ,
गूंगी हो क्या,
हाथ दिखाओ,
पैर दिखाओ,
दाग नही तो,
सूट पहन आओ,
पढ़ी-लिखी तो,
पता बताओ,
दादी- नानी ,
रिश्ते समझाओ,
घर का पहिया ,
खाता –पिता,
आज मच्छी ,
कल मीठ बनाओ,
पेट भरे तो ,
जग है सुंदर,
ऐसी बहू घर को लाओ,
लड़की पंसद है ,
परिवार है खुश,
बस लड़का देख ले,
सब संतुष्ट ,
बात बढ़ी घोड़ा अब दौड़ा,
यहाँ पास हुए,
तो दहेज दस तोला,
आना-कानी ,
मान गए अब ,
लड़के के नखरें
जान गए हम,
भर-भर पेटी ,
कपड़ा –लत्ता,
पंसद ना आए सस्ता – सुबिस्ता,
सबकुछ आप हो ,
हम सेवक हैं,
शादी करलो ,
विनती करत हैं,
यही आश हम लड़की वाले,
अभी खर्चे की सिर्फ शुरूआत है,
तुम ना बोलो लड़की हो तुम,
एक औरत ही..औरत से बोले,
फिर से पहिया ,
एक पग घूमा,
तुझ घर लड़की ,
कन्याकुवाँरी,
है माया या अज्ञान है सारा,
कुछ ना बोली ,
फिर भी,
कन्याकुवाँरी ….(2) ।
- प्रशांत कुमार पार्थ