कुछ ‘मुक्तक’ आँखों पर
अँखियों में अँखियाँ डूब गईं, अँखियों में बातें खूब हुईं. जो कह न सके थे अब तक वो, दिल
Read Moreअँखियों में अँखियाँ डूब गईं, अँखियों में बातें खूब हुईं. जो कह न सके थे अब तक वो, दिल
Read Moreरियो में बेटियों की, देखिए ऐसी चली है आंधी साक्षी ने कांस्य और पी वी सिंधु जीती है चांदी मस्तक
Read Moreजिओ बेटी जिओ, जिओ बेटी जिओ रियो को अपने नाम कियो। तुम देती हो सम्मान हर बार हम हर बार
Read Moreकभी बँद करूँ मैं मुठ्ठी, कभी बँद मुठ्ठी मैं खोलूँ… क्या ढूंढ़ती हूँ इनमें, ये राज कैसे बोलूं ! हाथों
Read Moreपापा को कड़ी धूप में पसीने से भरे देख और बड़ी मेहनत से सुन्दर तरह तरह के आकार के दीए
Read Moreप्यार के फूल खिलाते जाएँ इस बगिया को सजाते जाएँ कोई आँख अब ना रोए ऐसे सबको हंसाते जाएँ दिल
Read Moreओ३म् सत्यार्थ प्रकाश आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती रचित एक आर्ष ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ का पहला
Read Moreकृष्ण जन्माष्टमी बिशेष अब तो आ कान्हा जाओ, इस धरती पर सब त्रस्त हुए दुःख सहने को भक्त तुम्हारे आज
Read Moreएक उदास सी शाम में, अंधेरों के पीछे से , जब शिद्दद्त से महसूस किया मैंने एक अधूरी याद का
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