कविता

बचपन..

बचपन ही सबसे प्यारा है
खुलकर जो हँसने को मिलता है
बडे हुये तो बात हुई बडी
फिर भी बचपन की ही याद आती
इसलिये बचपन ही सबसे प्यारा है
जो होती बाते मन में
कह देते झट से सामने
आज तो सोचने समझने मे ही
आधी बात भूल जाते है
इयलिये बचपन ही सबसे प्यारा है
गलती तो अक्सर ही करते
लेकिन एक मॉ पापा की डॉट से
जल्दी ही संभल जाते थे
आज तो लाख समझाने पर भी
हजार गलतीयॉ हो ही जाती है
इसलियें बचपन…….
एक साल मे भी यदि कोई कपडे बनते
लगता जैसे कपडे के दुकान ही आ गयें
आज रोज नये नयें कपडे बनते
फिर भी उतना खुशी मिल न पाती है
इसलिये बचपन….
क्या जमाना था बचपन का
दोस्तो के साथ हर पल हर क्षण रहना
फिर मस्तीयों मे घुमना
आज तो समय निकालने मे ही
पूरे दिन कैसे कट जाते है
फिर भी समय नही निकाल पाते है
इसलिये बचपन…..
न होती कोई चिंता न होती कोई बोझ
बस खुलकर जीना ही
होता बचपन का काम
इसलियें बचपन ही सबसे प्यारा होता है|
     निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४