कविता

आज मै खडी हूँ

आज मै खडी हूँ
जिंदगी के उस मोड पर
जहॉ न आसमां का साथ
न चॉद की चॉदनी
न तारो का झुरमुठ
नही अपनो का साथ
बस बादलों से घिरा आसमान
और  चारो तरफ
अथाह जल ही जल
कही किनारा न दिखता
कभी डूब जाने की
इच्छा करता तो
कभी तैर कर
किनारे को
खोज निकालने का
मानो आज हमे
यह चुनौती मिली हो
जिंदगी जीने का
नया अंदाज मिला हो
कैसे रह सकते
हम किसी के बिना
यही आज समझा रहा हो
न आगे पैर बढते
न पिछे घिसकते
बस अथाह सागर के मध्य
तन्हा खडा होकर
अतित के बात स्मरण करतें|
     निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४