भजन/भावगीत

गणेशाष्टक

जय गणेश जय गणेश गणपति जय गणेश
(1)
धरा सदृश माता है, माँ की परिकम्माय कर आए।
एकदन्तृ गणनायक गणपति, प्रथम पूज्यक कहलाए।।
प्रथम पूज्यत कहलाए, गणपति जय गणेश।
जय गणेश जय गणेश………..’
(2)
लाभ-क्षेम दो पुत्र, ऋद्धि-सिद्धि के स्वाएमि गजानन।
अभय और वर मुद्रा में, करते कल्या्ण गजानन।।
करते कल्यामण गजानन, गणपति जय गणेश।
जय गणेश जय गणेश……….’
(3)
पूजें मानव-देव-अदैव, त्रिदेवों ने गुण गाए।
धर त्रिपुण्डण मस्त.क पर शशिधर, भालचन्द्रग कहलाए।।
भालचन्द्रश कहलाए गणपति जय गणेश।
जय गणेश जय गणेश……….’
(4)
असुर-नाग-नर-देव स्था पक, चतुर्वेद के ज्ञाता।
जन्मण चतुर्थी, धर्म-अर्थ और काम-मोक्ष के दाता।।
काम-मोक्ष के दाता, गणपति जय गणेश।
जय गणेश जय गणेश……….’
(5)
पंचदेव और पंच महाभूतों में प्रमुख कहाए।
बिना रुके लिख महाभारत, महाआशुलिपिक कहलाए।।
आशुलिपिक कहलाए, गणपति जय गणेश।
जय गणेश जय गणेश……….’
(6)
अंकुश-पाश-गदा-खड्ग-लड्डू-चक्र-षट्भुजा धारे।
मोदक प्रिय, मूषक वाहन प्रिय, शैलसुता के प्या्रे।।
शैलसुता के प्याहरे, गणपति जय गणेश।
जय गणेश जय गणेश……….’
(7)
सप्ताेक्षर ‘गणपतये नम:’, सप्त चक्र मूलाधारी।
विद्या वारिधि, वाचस्पपति, महामहोदपाध्याचय* अनुसारी।।
जपो सदा ‘गणपतये नम:’, जय गणेश।
जय गणेश जय गणेश……….’
(8)
छन्दणशास्त्र के अष्टनगणाधिष्ठााता, अष्ट*विनायक।
’आकुल’ जय गणेश गणनायक, सबके कष्टो निवारक।।
सबके कष्टय निवारक, गणपति जय गणेश।
जय गणेश जय गणेश……….’
(*विद्या वारिधि, वाचस्पपति, महामहोदपाध्या।य- कृष्णlद्वैवायन श्रीवेदव्या￿स की उपाधि)
आकुल, कोटा

डॉ. गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'

डॉ. गोपाल कृष्ण भट्ट ‘आकुल’ जन्म तिथिः18 जून 1955, महापुरा, जयपुर, राजस्थान. शिक्षाः एम0काॅम, डी0टी0पी0 (कम्प्यूटर) साहित्यिक यात्राः 1975 से आज तक विभिन्न प्रमुख पत्र पत्रिकाओं में लेख, कवितायें, कहानी, लघुकथायें, गीत, नवगीत, नाटक आदि प्रकाशित एवं कई संकलनों में प्रकाशन। 1993 से 2008 तक लगभग 6000 वर्ग पहेलियाँ अमर उजाला व अन्य प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित. प्रकाशित कृतियाँः 1. प्रतिज्ञा (1995)- (1995)- महाभारतीय पृष्ठभूमि पर महानायक ‘कर्ण’ पर आधारित नाटक, 2. पत्थरों का शहर पत्थरों का शहर पत्थरों का शहर (2008)- (2008)- हिन्दी गीत ग़जल और नज़्में, 3. जीवन की गूँज (2010)- (2010)- काव्य संग्रह 4. अब रामराज्य आएगा!! (2013)-लघुकथा संग्रह, 5. नवभारत का स्वप्न सजाएँ (2016) गीत संग्रह 6. जब से मन की नाव चली (2016)- नवगीत संग्रह। प्रमुख संकलनः(कुल 10) 1. श्री मुकेश नादान सम्पादित ‘साहित्यकार-5’ (काव्य संग्रह) में 5 साहित्यकारों में सम्मिलित 2. त्रिलोक सिंह ठकुरैला सम्पादित ‘कुण्डलिया कानन (कुण्डलिया छंद संग्रह). सम्पादनः 13 पुस्तकों का सम्पादन. सम्मान/सम्मानोपाधिः पं0 बृजबहादुर पाण्डेय स्मृति सम्मान (बहराइच), शब्द श्री (उज्जैन), काव्य केसरी, विवेकानन्द सम्मान (कोलकाता), कविगुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर सारस्वत साहित्य सम्मान (कोलकाता), साहित्य श्री, ‘साहित्य मार्तण्ड, साहित्य कला रत्न, साहित्य शिरोमणि, भारतीय भाषा रत्न (भागलपुर) , साहित्य मनीषी, कलम कलाधर, शब्द भूषण (उज्जैन), हिन्‍दी साहित्‍य भूषण (साहित्य मंडल, नाथद्वारा), सामाजिक संस्‍था 'तैलंगकुलम्', जयपुर द्वारा प्रेमचन्द्र गोस्वामी स्मृति सम्मान (जयपुर) और अखिल हिन्‍दी साहित्‍य सभा (अहिसास), नाशिक द्वारा विद्योत्‍तमा साहित्‍य सम्‍मान, 2016. अधिकृत उपाधिः विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर (बिहार) से विद्या वाचस्पति. सम्प्रतिः राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा से अनुभाग अधिकारी के पद से 30 जून, 2015 को सेवानिवृत्त, स्वतंत्र साहित्य यात्रा में संलग्न. वर्तमान में नवम्बर 2010 से ई-पत्रिका ‘अभिव्यक्ति’ (http://abhivyakti-hindi.org) एवं अक्टूबर 2015 से राजस्थान पत्रिका के सांध्य दैनिक (जयपुर) ‘न्यूज टुडे’ में हिन्दी वर्गपहेली निरन्तर प्रकाशित. स्थाई निवासः ‘सान्निध्य’, 817, महावीर नगर-2, कोटा (राजस्थान)-324005, भारत. ईमेलः aakulgkb@gmail.com ; gkbhatt55@yahoo.co.in ब्लाॅगः http://saannidhya.blogspot.com दूरभाष/मोबाइल: 0744-2424818/09462182817