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ब्रेल लिपि में लिखित सत्यार्थ प्रकाश ब्रेल पुस्तकालय (Blind Library) को भेंट किया गया

एक अनुमान के अनुसार सम्पूर्ण विश्व में 3.7 करोड़ व्यक्ति अन्ध रोग से पीड़ित है जिसमें से करीब 1.5 करोड़ अकेले भारत में हैं। इस प्रकार से हमारे देश में विश्व में सबसे अधिक अंध से पीड़ित व्यक्ति रहते हैं। उनकी दशा से हम सभी भली प्रकार से परिचित है। स्वामी दयानंद द्वारा रचित महान ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश मानव मात्र के कल्याण के लिए है। स्वामी जी के चिंतन से इतनी बड़ी संख्या केवल इसलिए वंचित रह जाये क्योंकि उनके जीवन में नेत्रों का प्रकाश नहीं है। एक प्रकार का अन्याय ही है। इस सदी के आरम्भ में आर्यसमाज ने ब्रेल लिपि के सत्यार्थ प्रकाश का प्रकाशन किया था। यह प्रकाशन करीब 50 वर्ष से उपलब्ध नहीं था। इस कमी को पूरा करने के लिए दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा एवं आर्ष साहित्य प्रचार ट्रस्ट ने भगीरथ प्रयास किया एवं 13 खण्डों में सत्यार्थ प्रकाश को पुनः प्रकाशित किया गया।brail-1     brail-2   
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मुझे बहादुरगढ़, जिला झज्जर, हरियाणा में अंध पुस्तकालय के विषय में सुचना प्राप्त हुई। वहां पर 5000 पुस्तकों के वृहद् पुस्तकालय में सत्यार्थ प्रकाश अनुपलब्ध था। इस निश्चय से दिल्ली सभा के कार्यालय से ब्रेल लिपि का सत्यार्थ प्रकाश मंगवाकर इस संस्थान को भेंट रूप में दिया। मेरे सामने एक अंध व्यक्ति ने सत्यार्थ प्रकाश पढ़कर सुनाया और कहा कि मैं इस महान ग्रन्थ का अध्ययन अवश्य करूँगा। मुझे यह सुनकर आनंद की अनुभूति हुई। सभा द्वारा 13 खण्डों में प्रकाशित सत्यार्थ प्रकाश 2100 रुपये मूल्य का है। आप भी अपने क्षेत्र में स्थित किसी ऐसे संस्थान में सत्यार्थ प्रकाश उपलब्ध करवाये। जिससे इस पुस्तक को ब्रेल लिपि में छापने का उद्देश्य पूर्ण हो।
डॉ विवेक आर्य