हाइकु/सेदोका : अथाह प्रेम
अथाह प्रेम
लाख चाहा मगर
फिर भी तन्हा
काँटों से भरी
है ये प्रेम डगर
दुविधा में हूँ
छायी बदरी
व्याकुल फिर मन
गीला तकिया
समन्दर तू
मैं नदिया हूँ प्यासी
कशमकश
अंजु गुप्ता
अथाह प्रेम
लाख चाहा मगर
फिर भी तन्हा
काँटों से भरी
है ये प्रेम डगर
दुविधा में हूँ
छायी बदरी
व्याकुल फिर मन
गीला तकिया
समन्दर तू
मैं नदिया हूँ प्यासी
कशमकश
अंजु गुप्ता