गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : एक ख्वाहिश है बस

एक ख्वाहिश है बस दीवाने की,
तेरी आँखों में डूब जाने की।

साथ जब तुम निभा नहीं पाते ,
क्या जरूरत थी दिल लगाने की।

आज जब आस छोड़ दी मैंने,
तुमको फुरसत मिली है आने की।

आज दीदार हो गया उसका,
अब जरुरत नही मदीने की।

तेरी हर चाल समझता हूँ मैं,
तुझको आदत है दिल दुखाने की।

हम तो ख़ानाबदोश हैं लोगों,
हमसे मत पूछिये ठिकाने की।

अभिषेक कुमार अम्बर

अभिषेक कुमार अम्बर

अभिषेक कुमार अम्बर हिंदी साहित्य की एक उभरती हुई प्रतिभा है।इनका जन्म मेरठ के मवाना क़स्बा में 07 मार्च 2000 को हुआ। आपने प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली से प्राप्त की। वर्ष 2014 से निरंतर हिंदी और उर्दू साहित्य की सेवा में समर्पित है। आप हास्य व्यंग्य कविता , गीत ,ग़ज़ल , छंद आदि विद्या में लिखते हैं मुख्यतः श्रृंगार रस एवं हास्य व्यंग्य के कवि हैं Email-abhishekkumar474086@gmail.com Add- Bank Colony New Delhi 110093