गीतिका/ग़ज़ल

मन की बात

लबों पे मोहोबत की प्यास नहीं दिखती
वो अकेली तो दिखती है उदास नहीं दिखती

मेरी फेहरिस्त में उनका भी नाम शामिल है
पर उनके आने की कोई आस नहीं दिखती

उबर रहा हूँ अब मैं ज़ख्मे-उल्फत से
उनकी तबियत भी कुछ ख़राब नहीं दिखती

यूँ तो वो ज़ोर-ऐ-बयां करते है मन की बातें
इन अफसानों में दिल की बात नहीं दिखती

चाँद तो कल भी दिखा था उनकी खिड़की से
पर अमावस की अब वो रात नहीं दिखती

अंकित शर्मा 'अज़ीज़'

ankitansh.sharma84@gmail.com