गीत/नवगीत

हे सूर्य ! उगो !

हे सूर्य ! उगो !

( छठ के पावन अवसर पर उगते सूर्य को अर्ध्य देने का प्रचलन है । उगते सूर्य को अर्ध्य देने को उद्यत पानी में खड़ी एक महिला के मन में सूर्योदय में होनेवाली देर को लेकर उठते विचार पेश है । )

नीरस कारि रतिया बीती
नव भोर करो जिंदगानी में
हे सूर्य ! उगो ! अब दर्शन दो
बड़ी देर खड़ी हूँ पानी में

सुमिरन करती छठ मैया की
लिए थाल सजाये खड़ी हूँ मैं
स्वीकार करो यह अर्ध्य हमारा
आस लगाये बड़ी हूँ मैं

मन की चाहत को पूर्ण करो
खुशियाँ भर दो जिंदगानी में
हे सूर्य ! उगो ! अब दर्शन दो
बड़ी देर खड़ी हूँ पानी में

जो सोये थे अब जाग गए
पंछी निज निड सब छोड़ चले
नव चेतन है अब धरती पर
तम त्याग धरा को दौड़ चले

अब तो सुन लो भगवन मेरी
पूरी सृष्टि खड़ी अगवानी में
हे सूर्य ! उगो ! अब दर्शन दो
बड़ी देर खड़ी हूँ पानी में

छठ मैया की जय ।। सभी देशवासियों को छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ।।

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।