कविता

मुरझाया फूल

सूखा मुरझाया फूल
पुरानी किताब में मिला
खुशबू न थी फूल में
रंग भी बदल चुका था मेरी तरह
बदले हुए से तुम भी
सामने थे टी-वी में मशगूल
पर मुझे याद था अब भी
वो माशुक सा इक लड़का
भर के फूल में इश्क देता हुआ
वो झेपंती सी इक लड़की
थाम के फूल
अपनी गली को दौड़ती हुई

डॉ हेमलता यादव 

हेमलता यादव

हेमलता यादव शोधार्थी इग्नू मोब. 09312369271 459 सी/ 6 गोविदंपुरी कालकाजी नई दिल्ली 110019