गीत/नवगीत

गीत : बंद नहीं होने देंगे

(भारत बंद को बुलाने वालों और इसका समर्थन करने वालों को आईना दिखाती मेरी नयी कविता)

भारत माँ के बेटे जागे, जन जन का ईमान जगा
कुछ पाखंडी चीख रहे बस, पूरा हिंदुस्तान जगा

हमें पता है, चीख रहे जो, काले धन के भोगी हैं
बस हराम की खाते आये, बहुत बड़े ही रोगी हैं

हमें पता है इनकी कुटिल कहानी मरने वाली है
काले धन के आकाओं की नानी मरने वाली हैं

तीक्ष्ण निशाना चोरों पर भरपूर लगाया मोदी ने
कुर्सी के नीचे जलता तंदूर लगाया मोदी ने

उछल रहें है, तड़प रहे है, नंगा नाच दिखाये हैं
70 साल लूटने वाले, खानदान घबराये हैं

बामी में से नाग निकलके, फन अपना फैलाये हैं
लगता है भारत अपने अब्बा के नाम कराएं हैं

छाती पीटो, लेकिन हरगिज़ गल सकती अब दाल नहीं
भारत सवा अरब का, इनके बप्पा का माल नहीं

अब निश्चित हो जाने दो, है झूठ बड़ा या सत्य बड़ा?
कौन खड़ा है दुर्योधन संग, कौन कृष्ण के साथ खड़ा?

अंधकार के आगे, सूरज मंद नही होने देंगे
भारत के बेटे भारत को बंद नही होने देंगे

बंद पड़ा था भारत अब तक घोटालों की बोरी में
बंद पड़ा था भारत काले धन से भरी तिजोरी में

बंद पड़ा था भारत, अब तक इटली के दरबारों में
बंद पड़ा था भारत दहशत गर्दी की दीवारों में

बंद पड़ा था भारत कर-चोरों के गुप्त ठिकानों में
बंद पड़ा था भारत खादी वालों के तहखानों में

उस भारत को फिर से छल का छंद बनाने निकले हो?
मोदी ने आज़ाद किया, तुम बंद कराने निकले हो?

भारत माँ के आंचल का हर धब्बा धुलने वाला है
बंद पड़ा था सालों से वो भारत खुलने वाला है,

जनता जान गयी, दुष्टों के संग चलने की घडी नहीं
लाइन में लगने की पीड़ा भारत माँ से बड़ी नहीं

भारत माँ आज़ाद हुयी है, फेंको इस पर जाल नहीं
जो दुकान का शटर गिराये, वो भारत का लाल नहीं

कलम उठा लो, कागज़ ले लो, लिस्ट बनाना शुरू करो
चोर छिपे थे कितने अब तक, ध्यान लगाना शुरू करो

कवि गौरव चौहान कहे, हम अपना फर्ज निभाएंगे
जिस दुकान पर ताला होगा, वहां कभी न जाएंगे

भारत बंद कराने की जिनके दिल में फरियादें हैं
वे सब की सब काले धन की नाजायज़ औलादें हैं

विष भ्रमरों से ज़हरीला मकरंद नही होने देंगे
कसम उठा लो हरगिज़ भारत बंद नहीं होने देंगे

——कवि गौरव चौहान