रिश्तों का कैनवास
रिश्तों के कैनवास पर
दरक गई हैं
कुछ किरचें
इस कदर
कि
लगता ही नहीं
इन्हीं रिश्तों के
सुदृढ़ कगार पर बैठकर
हमने कभी
हंसने-रोने के अहसासों को
एक साथ जीवंत जिया था
एक साथ
हम आज भी हंसते-रोते हैं
पर उनमें नज़र नहीं आती
संवेदनशीलता की वह गहराई
लगता है
रिश्ते सतही हो गए हैं.