कविता

AIDS जन्म दिवस आज : इंतज़ार, परहेज़ और बरदाश्त…..तब कंडोम

‘लड़का’ बाप हो गया, अरे ! कुंवारे
माँ बन गयी लड़की, अरी ! बिन-ब्याही
‘वासना-इन-रिलेशनशिप’ की दुनिया में —
हम बह गए रति की नदी में
गबरू कामदेव बन, शिलाजीत चाट
‘दो-तन’ एक रोग हो गया !!

इसलिए तो कहता हूँ, दोस्तों !
न ‘अन्तर्वासना’ की साइट से
न ‘वासना’ की बुखार से —
AIDS तभी भागेंगे,जब करे
इंतज़ार,परहेज़ और बरदाश्त…..
…..तब ‘कंडोम’ की दरकार से !!