कविता

ये देश

ये देश है ओछे मजाको का
रोहित का व अखलाको का
इस देश का यारो क्या कहना
मुश्किल है अब ये सब सहना

कोई रोटी सेंके लाशों पे
कोई व्यस्त हुआ है तमाशो मे
यहा राष्ट्र विकास की जो सोचे
सब उसके तन मन को नोचे

कोई सूट बूट चिल्लाता है
खुद जाने कहा पे जाता है
उसको ना भाता इंडिया जी
उसे ढूंढ न पाता मीडिया भी

कोई झाड़ू ले कर घूम रहा
चोरो के चरण वो चूम रहा
दुनिया को झूठा कहता है
वो सब से रूठा रहता है

कोई घूमे संग गद्दारो के
लो शब्द सुनो उन नारो के
वो देश बांटना चाहते है
घाटी को काटना चाहते है

मनोज”मोजू”

मनोज डागा

निवासी इंदिरापुरम ,गाजियाबाद ,उ प्र, मूल निवासी , बीकानेर, राजस्थान , दिल्ली मे व्यवसाय करता हु ,व संयुक्त परिवार मे रहते हुए , दिल्ली भाजपा के संवाद प्रकोष्ठ ,का सदस्य हूँ। लिखना एक शौक के तौर पर शुरू किया है , व हिन्दुत्व व भारतीयता की अलख जगाने हेतु प्रयासरत हूँ.