कवितापद्य साहित्य

जग में क्या रहता है (माहिया)

1.
जीवन ये कहता है
काहे का झगड़ा
जग में क्या रहता है!
2.
तुम कहते हो ऐसे
प्रेम नहीं मुझको
फिर साथ रही कैसे!
3.
मेरा मौन न समझे
कैसे बतलाऊँ
मैं टूट रही कबसे!
4.
तुम सब कुछ जीवन में
मिल न सकूँ फिर भी
रहते मेरे मन में!
5.
मुझसे सब छूट रहा
उम्र ढली अब तो
जीवन भी टूट रहा!
6.
रिश्ते कब चलते यूँ
शिकवे बहुत रहे
नाते जब जलते यूँ!
7.
सपना जो टूटा है
अँधियारा दिखता
अपना जो रूठा है!
8.
दुनिया का कहना है
सुख-दुख जीवन है
सबको ही बहना है!
9.
कहती रो के धरती
न उजाड़ो मुझको
मैं निर्वसना मरती!
– जेन्नी शबनम (6. 12. 2016)
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