धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

अध्यात्म का अर्थ

सर्व प्रथम हमें यह समझना है की अध्यात्म क्या है ? क्या भगवान की पूजा करना अध्यात्म है ? क्या कीर्तन करना अध्यात्म है ? क्या मंदिर में जाना अध्यात्म है ? क्या किसी गुरु के प्रवचन सुनना अध्यात्म है ? नहीं ये सभी कुछ अध्यात्म नहीं है तो फिर अध्यात्म क्या है .
जैसा की नाम से ही विदित है अध्य +आत्म . आत्म कहते है स्वयं को तो स्वयं का अध्ययन करना ही अध्यात्म है . तो अध्यात्म का अर्थ है स्वयं को जानना .
अब आप स्वयं सोचे की क्या स्वयं का अध्ययन करने के लिए किसी पूजा -पाठ की आवश्यकता है ? क्या मंदिर जाने से स्वयं को जान जायेंगे . क्या किसी प्रवचन सुनने से स्वयं का ज्ञान हो जायेगा . नहीं कदापि नहीं . स्वयं को जानने के लिए सबसे जरुरी है की आपमे स्वयं को जानने की इच्छा पैदा हो जाये इसी इच्छा को जिज्ञासा कहते है.
जब आपमे स्वयं को जानने की याने अध्यात्म की उत्कट इच्छा पैदा हो जाएगी तो आप निःसंदेह स्वयं को जान जायेंगे याने अध्यात्म को जान जायेंगे अर्थात आत्मज्ञान प्राप्त कर लेंगे. और स्वयं को जानने के लिए अंतर्मुख होना पड़ता है ,आँखे बंद करके स्वयं के भीतर झांकना .और इस बात पर गौर करना की हमने जो आज तक कर्म किए है,वो कितने सही थे कितने गलत ,क्योंकि उन कर्मों का फल आपको मिल चुका है और आपको ज्ञात हो गया है की जैसा कर्म, वैसा ही फल मिलता है अत: स्वयं को विवेक की मथनी से मथोगे तब पता चलेगा की मन में कितना न रखने योग्य सामान भरा पड़ा है.उसे बाहर निकालोगे तभी धीरेधीरे आगे का रास्ता साफ़ नज़र आयेगा.और फिर आगे कैसा कर्म करना है आप सुनिश्चित कर पाओगे और आपका जीवन अध्यात्म की मंज़िल की ओर अग्रसर होगा .ज़ब तक मन स्वच्छ नहीं होगा तब तक आत्मिक उन्नति कभी नहीं होगी .
“अध्यात्म के अलग-अलग अभ्यास”
प्रार्थना करें, संगीत सुनें या कुछ देर मौन होकर बैठ जाएं.ये सभी अध्यात्म के अलग-अलग अभ्यास हैं, जिनसे रोजमर्रा के जीवन में होने वाले तनावों से मुक्ति मिल सकती है..
दरअसल, इन दिनों ऑफिस या घर-परिवार में तनाव की वजह से लोगों में ब्लड प्रेशर, शूगर, दिल संबंधित बीमारियां बड़ी तेजी से बढ़ी हैं.चिकित्सक भी अब मानने लगे हैं कि इन सभी समस्याओं की जड़ रोजमर्रा के जीवन में रचा-बसा तनाव है. इसे दूर भगाने का उपाय अध्यात्म के अलग-अलग अभ्यास, जैसे-प्रार्थना, मधुर संगीत और कुछ पल मौन होकर बैठना भी. जरूरी नहीं है कि ध्यान या अध्यात्म के लिए संन्यासी बना जाए. आम जिंदगी में भी इसे अपनाया जा सकता है.
इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि प्रार्थना से तनाव दूर होता है. इस दिशा में पूरे विश्व में कई अध्ययन भी किए जा रहे हैं.इसके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा रहा है कि विज्ञान, अध्यात्म और रोगों का उपचार एक-दूसरे से संबंधित हैं.
यदि हम जीवन शैली संबंधित बीमारी की चर्चा करें, तो ज्यादातर चिकित्सकों की राय होती है कि अध्यात्म का चिकित्सा पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है. यह हमें जीवन को संतुलित करना सिखाता है.बशर्ते हम दिल से वह कार्य करें.

प्रतिभा देशमुख

श्रीमती प्रतिभा देशमुख W / O स्वर्गीय डॉ. पी. आर. देशमुख . (वैज्ञानिक सीरी पिलानी ,राजस्थान.) जन्म दिनांक : 12-07-1953 पेंशनर हूँ. दो बेटे दो बहुए तथा पोती है . अध्यात्म , ज्योतिष तथा वास्तु परामर्श का कार्य घर से ही करती हूँ . वडोदरा गुज. मे स्थायी निवास है .