कुंडली : जूते की गुहार
जूता सिसकी भरि रहा, ये मेरा अपमान
सोच-समझ कर तानिए, फिर करिए संधान
फिर करिए संधान, ‘केजरी’ मुवां निठल्ला
संविधान रिपु, नीच, हठी, बातूनी, नल्ला
कह सुरेश जो सठ ‘अन्ना सपनों’ पर ‘मूता’
ऐसे खल पर मत फेंको, रिरियाया जूता ।।
— सुरेश मिश्र