गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

तूने खत मुझको किसलिए भिजवाया था !
जानना चाहती हो क्या समझ न आया था !!

तुझको दिल दे चुका था उस दिन ही अपना !
तेरी आँखो से अपनी आँखे जब मिलाया था !!

ख्याल आने लगे तब नींद उड़ गई मेरी !
मैंने दिल अपना तुझसे जब लगाया था !!

तुझे जानना है क्यूँ कहना है क्या तुझसे मुझे !
हाले दिल अपना लिख मैंने भिजवाया था !!

मेरा दिल टूट गया इंकार क्यूँ किया तूने !
हँसा के चार दिन मुझे क्यूँ रुलाया था !!

क्यूँ आई जीस्त में मेरी तू खुशी बनकर !
न रहना साथ जब फिर क्यूँ हँसाया था !!

तेरी यादो के संग काटे हयात अपनी नन्हा !
जी रहा लम्हा वही जो संग तेरे बिताया था !!

शिवेश अग्रवाल नन्हाकवि

शिवेश हरसूदी

खिरकिया, जिला हरदा (म.प्र.) मो. 8109087918, 7999030310