कविता

कविता – मेरा गाँव

अपने गाँव की मिट्टी भी इतनी ही सुहानी है
जैसे बूढे काका की परियो की कहानी है …
लगे तो पेड बडे शहर मेँ भी थे ,
पर पुराना बरगद अपने चौपाल की निशानी है …
मौसम के बदलावो को यहाँ महीनो का इंतजार नही ,
सावन मेँ झडते पत्तो की शायद ये कुर्बानी है …
पुरवे मेँ देखो वो झोपड , सिल पर बाट चलाती जिसमेँ बैठी मेरी नानी है …
घूँघट ओढ उपले पाथे जो , वो प्यारी मेरी मामी है …
पास बैठ गन्ने के रस को , मै पीता जैसे पानी है …
अपने गाँव की मिट्टी भी इतनी ही सुहानी है …
याद चैन है अब तलक यहाँ का ,
भोले , पिँटू  साथ  सखा का ,
अरे , अब तो अपनी परबतिया भी सयानी है ,
अपने गाँव की मिट्टी भी इतनी ही सुहानी है ।
नही तारीफ गाँव की ये तो सच्ची जुबानी है ,
मै तो ये अब कह रहा हूँ जाने कब से ये बयानी है …
अपने गाँव की मिट्टी भी इतनी ही सुहानी है …

नमन भल्ला

नमन भल्ला

मै लखीमपुर-खीरी उ॰प्र॰ का निवासी हूँ । मै हिन्दी विषय से एम॰ए॰ के अध्ययन मेँ संलग्न हूँ । मेरे पिताजी का नाम श्री रामनरायन भल्ला है जो कि एक शिक्षक है । चूँकि हिन्दी का विद्यार्थी हूँ इसलिए लेखन मेँ रुचि है । मुझे लेखन के अर्न्तगत कविता , कहानी , लघुकथा , हाईकू , माहिया , गीत , निंबध , आलेख और शायरी आदि विधाओ मेँ लिखने का खासा शौक है । पता - लखीमपुर-खीरी , उ॰प्र॰ मो॰ नं॰ - 8400136769