ग़ज़ल
कभी शब तो कभी सहर नहीं होती ।
ज़िन्दगी तन्हा बसर नही होती ।।
मान लो बात, लौट आओ तुम ।
अब तुम बिन गुजर नही होती ।।
तुम होते हो तो खुशियां होती है ।
किसी गम की फ़िकर नही होती ।।
इश्क कहते हैं कि अँधा होता है ।
क्योंकि रूह की नजर नहीं होती ।।
जब प्यार का हाथों मे हाथ होता है ।
फिर दुनियां की खबर नहीं होती ।।
सुबह होती हैं या शाम होती हैं ।
तेरी यादों की दोपहर नहीं होती ।।
लगता है जज्बात ये एकतरफा है ।
वरना मुहब्बत यूँ बेखबर नहीं होती ।।
तुम ना लौटे अगर तो हम ही लौट जायेंगे ।
ये इन्तजार की चाकरी उम्रभर नही होती ।।
— साधना सिंह, गोरखपुर