लघुकथा

पति के सपने

इस साल 13 मार्च दुनिया के लिए भले ही होली का दिन था, पर कौशल्या के लिए उसके पति की पहली बरसी का दिन था. पति के साथ वह झोंपड़ी में रहकर भी प्रसन्न और संतुष्ट थी, उसका पति शंकर भले ही पत्नि को झोंपड़ी के बदले कंक्रीट के पक्के मकान में रहाने का इच्छुक था, पर सबके सब सपने कब सच हो पाए हैं! शंकर भी उन्हीं में से एक था. दिनदहाड़े भरे बाज़ार में कौशल्या के सामने पांच लोगों के गैंग द्वारा उसकी हत्या कर दी गई. कौशल्या को भी सिर में गंभीर चोटें आईं. सीसीटीवी में कैद इस हमले की वारदात का विडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही कौशल्या के परिजन और हमलावर गैंग को अरेस्ट कर लिया गया था. मुश्किल के इस दौर में भी कौशल्या ने हिम्मत से काम लिया और जिंदगी के टूटे टुकड़ों को समेटने में जुट गई. अब वह रक्षा मंत्रालय में रेवेन्यू असिस्टेंट के पद पर काम कर रही है, पति की इच्छानुसार उसका पक्का मकान बन गया है, पति के दोनों भाइयों की अच्छी शिक्षा के लिए उसने पैसे बचाने शुरू कर दिए हैं. पति के जाति प्रथा को खत्म करने के सबसे बड़े सपने की लड़ाई वह अंतिम सांस तक लड़ना चाहती है. फिलहाल वह कंप्यूटर साइंस से बीएससी कर रही है और उसके बाद सोशल वर्क में मास्टर्स करना चाहती है. पति के इन्हीं सपनों को पूरा करके उसने पति की पहली बरसी मनाई है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244