कहानी

कहानी : भूख की आग

“माँ ए “भूख की आग” क्या होती है?”
ए क्या ऊल जुलूल सवाल पूछती रहती हो? नीलम ने रूही को डाँटते हुए कहा.
रूही जो नीलम और मोहित की बेटी थी मोहित बहुत बङा व्यापारी था. पैसे शान शौकत में कोई कमी नही थी. रूही कक्षा छ: की छात्रा थी.
“नही मा मुझे भूख की आग पर निबन्ध लिखना है, मा बताओ न क्या होती है भूख की आग “?
नीलम सोच में पङ गई पर उसकी समझ में नही आया कि भूख की आग होती क्या है?
“पता नही क्या टोपिक दे देते है ए स्कूल वाले भी न ” -बङबङाते हुए किचन में घुस गई.
नीलम कहा हो तुम – बाहर से किसी मद॔ की आवाज आई ।शायद नीलम के पती मोहित थे.
” रूही कहा है “-सोफे पर बैठते हुए.
” अपने रूम में है “- नीलम की आवाज आई.
” क्या आपको पता है कि भूख की आग क्या होती है”-मोहित के पास बैठते हुए नीलम ने पूछा -?
“क्या पागलो वाली बातें करती हो, कोई सवाल नही है क्या पूछने के लिए “-नीलम पर झल्लाते हुए मोहित चिल्लाया.
तब तक रूही अपने कमरे से आई और मोहित के गले लग गई.
” कैसी हो रूही खाना खाया या नही,और हा तुमने जो खिलौने मंगाए थे. वो मै ले आया हू .रूही ने कोई जवाव नहीं दिया.
“क्या हुआ बच्चे उदास क्यों हो “?-रूही की तरफ देखते हुए प्यार से मोहित ने पूछा .
” पापा ए “भूख की आग” क्या होती है “?-रूही ने मोहित से सवाल किया .
“ए हो क्या गया है आज सबको, सब एक ही सवाल पूछ रहे है ” -रूही को पास बैठाते हुए मोहित बङबङाया.
” ए क्या है बेटा किसने कहा तुमसे ए सब “-मोहित ने प्यार से पूछा.
“पापा मुझे “भूख की आग पर एक निबन्ध लिखना है “-बताइए न पापा,ए भूख की आग क्या होती है “?-मासूमियत से मोहित से पूछा रूही ने.
“अच्छा बेटा चलो कही धूमने चलते है फिर लौटकर बताऊगा “-मोहित ने रूही को बहला दिया. परन्तु मन ही मन मोहित भी सोच रहा था कि आखिर ए है क्या?
“ओके पापा”-रूही खुश हो गई. नीलम और मोहित चिन्तित दिखाई दे रहे थे.
सब लोग तैयार होकर धूमने चले गए. रूही बहुत खुश थी. लौट रहे थे कि अचानक नीलम को कुछ याद आया.
” सुनिए जरा गाङी रोकना, वो पास के मंदिर में पुजारी को पचास हजार रुपए देने है,उन्होने हमारे कारोबार को किसी की नजर न लगे इसके लिए हवन किया है “-मोहित को समझाते हुए.
मोहित ने मंदिर के वाहर गाङी रोक दी और तीनो नीचे उतर कर मंदिर में जाने लगे. तभी एक बूढा व्यक्ति जिसके शरीर में सिफ॔ हड्डिया थी
वह इंसान कम कंकाल ज्यादा लग रहा था . मोहित कुछ समझ पाता तब तक वह मोहित के कदमों पर गिर पङा .
” बाबू जी तीन दिन से कुछ नही खाया है,बाबू जी कुछ दे दीजिए बहुत दुऑए देंगे आपको,”-बूढा व्यक्ति गिङगिङा रहा था.
” दूर हटो,पता नही कहा से आ जाते है लोग,भारत देश भी न भिखारिओ का देश है. बिलकुल तहजीब नही होती है इन भिखारिओं में “- अपने पैरों को खीचते हुऐ बूढे व्यक्ति पर झुल्लाया मोहित.
रूही अवाक सी देख रही थी कभी अपने पापा को कभी उस बूढे व्यक्ति को जो पेट पकङ कर मजबूर सा चुपचाप बैठ गया था.
तभी नीलम आ गई और तीनो गाङी में बैठ कर घर चले गए. दस बजे घर पहुचे . रूही उदास थी वह उस बूढे के बारे में सोच रही थी जिसको पापा भिखारी कह रहे थे।रूही के दिमाग में कई सवाल उठ रहे थे .
चलो बेटा सो जाओ,सुबह स्कूल जाना है”-मोहित ने रूही सेकहा
“पापा मुझे अभी निबन्ध लिखना है,बताइए न पापा “भूख की आग” क्या होती है”-रूही ने फिर पूछा मोहित से,मोहित फिर सोच में पङ गया .
“रूही बेटा सो जाओ अभी सुबह बता दूगा “-मोहित को प्यार से समझाया .
सुबह तक मोहित और नीलम “भूख की आग” के बारे में सोच नही पाए थे . रूही उठ चुकी थी तभी बाहर से बहुत तेज कुछ अजीब आवाजें आ रही थी . रूही आ चुकी थी वो कुछ सवाल करती उससे पहले ही मोहित बङबङाया.
मोहित बाहर निकला पीछे से नीलम और रूही भी लपकी . बाहर बहुत लोंगो की भीङ लगी हुई थी ।बीच से किसी के कराहने की आवाज आ रही थी .
“आहहहह–तीन दिन से कुछ नहीं खाया,भूख की आग लगी है पेट में “-पेट के बल पङा था कोई जमीन पर,पेट को अपने दोनों हाथों से दबाए हुए था .
आहहह—आहहहह—आहहहह—अचानक आवाज आना बन्द हो गई.
“बेचारा भूख से मर गया”-किसी अजनबी व्यक्ति उसको सीधा करते हुए बोला.
जैसे ही उस अजनबी ने सीधा किया उस व्यक्ति को मोहित और नीलम के कदम पीछे हो गए .
“ओह ए क्या ए तो वही बूढा व्यक्ति है जिसको पापा ने पैसे नही दिए थे “–आहत से भर गया उस नन्ही सी बच्ची का दिल उसने लाचार और शिकायत भरी नजरों से अपने पापा और मम्मी की तरफ देखा . जैसे कह रही हो कि इस बूढे व्यक्ति की मौत के जिम्मेदार वही है .
“पापा क्या यही होती है “भूख की आग”–खामोश नजरें सवाल कर रही थी मोहित से.
रूही थके कदमों से घर के अंदर गई और कलम और डायरी उठा कर लिखने लगी वो अनुभव जो उसने दिल से महसूस किया था.स्कूल में उसे कहानी के लिए सव॔श्रेठ पुरस्कार मिला . मंदिर की दुऑओ से हजार गुना ज्यादा अच्छा है किसी मजबूर की सहायता करके उनकी दुऑए ली जाए.

नीरू श्रीवास्तव “निराली”
कानपुर

नीरू श्रीवास्तव

शिक्षा-एम.ए.हिन्दी साहित्य,माॅस कम्यूनिकेशन डिप्लोमा साहित्यिक परिचय-स्वतन्त्र टिप्पणीकार,राज एक्सप्रेस समाचार पत्र भोपाल में प्रकाशित सम्पादकीय पृष्ट में प्रकाशित लेख,अग्रज्ञान समाचार पत्र,ज्ञान सबेरा समाचार पत्र शाॅहजहाॅपुर,इडियाॅ फास्ट न्यूज,हिनदुस्तान दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित कविताये एवं लेख। 9ए/8 विजय नगर कानपुर - 208005