लघुकथा

छोटी सी बात

कैलाश समझ नही पा रहे थे कि उनकी जीवन संगिनी वृंदा इतनी चुप क्यों है। सुबह से कितनी बार पूँछ चुके पर कुछ बोलती ही नही है। चालीस साल से दोनों एक दूसरे के सुख दुख के साथी रहे थे। कभी एक दूसरे से कुछ नही छिपाया। आज वृंदा की खामोशी उन्हें परेशान कर रही थी।
वह उनकी चुप्पी के कारण का अनुमान लगाने की कोशिश कर रहे थे। सोच रहे थे कि पिछले एक दो दिन में उनसे ही कोई भूल तो नही हुई। लेकिन कुछ भी समझ नही आ रहा था। आखिरकार वह वृंदा के पास गए।
“यह क्या सुबह से मुंह फुलाए बैठी हो। मुझसे कोई गलती हुई हो तो बताओ। मुझसे यह खामोशी बर्दाश्त नही हो रही है।”
वृंदा ने तिरछी नज़रों से उनकी तरफ देखा।
“बस कुछ ही घंटों में परेशान हो गए। तुम जो पिछले कुछ दिनों से मुझसे बात छिपा रहे हो। मुझे तकलीफ़ नही होती तुम्हारी परेशानी से।”
कैलाश समझ गए। बच्चों को याद कर थोड़ा उदास हो गए थे।
“अरे वह तो छोटी सी बात थी।”
“जो भी थी। अगर हम एक दूसरे को मन की बात नही बताएंगे तो किसे बताएंगे।” वृंदा ने नाराज़गी दिखाई।
कैलाश ने अपनी गलती मान ली। दोनों कानों को पकड़ कर बोले
“माफ कर दो। अब ऐसा नही होगा।”
उनकी इस हरकत पर वृंदा हंस पड़ीं।

*आशीष कुमार त्रिवेदी

नाम :- आशीष कुमार त्रिवेदी पता :- C-2072 Indira nagar Lucknow -226016 मैं कहानी, लघु कथा, लेख लिखता हूँ. मेरी एक कहानी म. प्र, से प्रकाशित सत्य की मशाल पत्रिका में छपी है