लघुकथा

माँ की ममता

रमेश एक नौकरीपेशा युवक था । घर में पत्नी और एक बेटे के अलावा उसकी माताजी ही थीं । कुल मिलाकर चार लोगों का बहुत ही सुखी परिवार था । उसके पिताजी उसके बचपन में ही स्वर्ग सिधार गए थे तब उसकी माँ ने ही उसके पिता की  भी जिम्मेदारी उठाई थी ।
आज रमेश ने अपने ऑफिस से छुट्टी लिया था । सुबह उठकर वह बरामदे में बैठा चाय प़ी रहा था । उसकी पत्नी सुरेखा बेटे मोनू को नहला कर लायी और तौलिये से उसे पोंछकर स्कूल के कपडे पहनाने लगी । बालों में तेल लगाकर उसे कंघी करते हुए वह उसे दुलारने भी लगी । फिर उसे गोद में उठाकर वह घर में नाश्ता कराने चली गयी । अपने बेटे से उसका यह लगाव स्नेह और ममता देख कर उसका मन सुरेखा के लिए स्नेह से भर गया ।
उसकी ममता और स्नेह देखकर आज उसे अपना बचपन याद आ गया था और याद आ गयी थी माँ की ममता और स्नेह और उसका प्यार  ।
वह तेजी से उठा और माँ के कमरे की तरफ चल पड़ा । कृतग्यता के भाव उसके मुख पर स्पष्ट दिख रहे थे । कमरे में पहुँच माँ की गोद में सर रखकर वह  सिसक पड़ा । माँ ने बिना कुछ कहे ख़ामोशी से उसे अपने आगोश में छिपा लिया था ।

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।