ग़ज़ल
जरा सोच लो आजमाने से’ पहले
मुहब्बत की’ दुनिया बसाने से’ पहले |
हमारा सहारा तुम्ही थी अकेली
जहां से तुम्हारे रवाने से’ पहले |
रही तुम हमेशा हमारे दिलों में
भुलाना नहीं मौत आने से’ पहले |
मुहब्बत का’ पौधा तुम्ही ने लगाया
चली तुम गयी फूल आने से’ पहले |
मुझे प्यार का स्वप्न देकर गई तुम
छिपी क्यों मेरी नींद आने से’ पहले |
मुहब्बत में प्यार और बढती गई
रुलाई पिपाषा मिटाने से’ पहले |
कालीपद ‘प्रसाद’