सामाजिक

परवरिश

कल एक परिचित मिलने आये, कुशलक्षेम पूछने पर अपने बच्चों के बारे में बताने लगे ! बात-बात में बताने लगे, “अपने मंझले बेटे की पढाई पर विशेष ध्यान देता हूँ क्योंकि वो पढ़ने में बहुत तेज है वो आई आई टी में अवश्य सलेक्ट होगा।” बड़े की बात चलने पर बोले,”वो सामान्य बुद्धि का है,उसे बस आर्ट्स के विषय दिला कर कहूंगा कि सिविल सर्विसेस का इम्तेहान दो, आ गया तो बहुत बढ़िया वरना खेती करो ! अब भाभी आप ही कहो, दसवीं से लेकर बारहवीं तक कोचिंग करने में दस लाख का खर्च करो, फिर प्राइवेट कॉलेज में दाखिला दिलाने में पचास लाख का खर्चा और हॉस्टल की फीस और तमाम खर्चे अलग से और बाबू किसी तरह पास होकर नौकरी करेंगे भी तो सिर्फ बीस या पच्चीस हज़ार की ? कौनो फायदा नीखे !”
मैंने कहा, “मैंने इस नज़रिये से तो कभी हिसाब लगाया नहीं बच्चों की पढाई पर होने वाले खर्चे और कमाई का ! और शुरू में तो तनख्वाह ज्यादा कहाँ मिलती है ? बाद में बच्चे अनुभव से कंपनी बदलते रहते है !”….. खैर, उनके जाने के बाद सोचती रही उनके बारे में !वो शख्स बेटी की शादी में एक करोड़ रुपये पानी की तरह बहा कर ख़ुशी पा सकते हैं फिर बेटे का भविष्य संवारने में इतना तौल-मॉल क्यों ? दिखावे की शादी क्यों लोगों के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण हो गयी ?
दूसरी तरफ हमारे ही एक पड़ौसी जो अपने बच्चों की पढाई पर विशेष ध्यान देते हैं, समय निकाल कर खुद उन्हें पढ़ाते हैं उन्हें ज्यादातर ऐसे ही लोग, “सनकी” की उपाधि से अलंकृत करते हैं ! जब बच्चों पर अभी ध्यान नहीं देंगे और उनकी पढाई से ज्यादा दिखावे पर ध्यान देंगे तो भविष्य में अपने बच्चों से क्यों अपेक्षा ?

पूर्णिमा शर्मा

नाम--पूर्णिमा शर्मा पिता का नाम--श्री राजीव लोचन शर्मा माता का नाम-- श्रीमती राजकुमारी शर्मा शिक्षा--एम ए (हिंदी ),एम एड जन्म--3 अक्टूबर 1952 पता- बी-150,जिगर कॉलोनी,मुरादाबाद (यू पी ) मेल आई डी-- Jun 12 कविता और कहानी लिखने का शौक बचपन से रहा ! कोलेज मैगजीन में प्रकाशित होने के अलावा एक साझा लघुकथा संग्रह अभी इसी वर्ष प्रकाशित हुआ है ,"मुट्ठी भर अक्षर " नाम से !