गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : मैं नींव का पत्थर हूँ

मैं नींव का पत्थर हूँ मेरा नाम नहीं है
रातें हैं मेरे नाम सुबह-शाम नहीं है

सदियों से खड़े हैं मेरे शाने पे खण्डर कुछ
ये मेरी शराफत का तो इनआम नहीं है

चोटी पे मुझे लेके कभी कोई चढ़ेगा
मेरे लिए ऐसा कोई पैगाम नहीं है

मैं चैन से पलकों को किए बन्द पड़ा हूँ
ये झूठ है मुझको यहाँ आराम नहीं है

ये भी तो नहीं सच कि तेरे नाम को लेकर
ऐ ‘शान्त’ मेरे सर कोई इल्जाम नहीं है

देवकी नन्दन शान्त

देवकी नंदन 'शान्त'

अवकाश प्राप्त मुख्य अभियंता, बिजली बोर्ड, उत्तर प्रदेश. प्रकाशित कृतियाँ - तलाश (ग़ज़ल संग्रह), तलाश जारी है (ग़ज़ल संग्रह). निवासी- लखनऊ