कविता

जग का सूरज

शाम हुई थका सूरज
पहाड़ो की ओट में
करता विश्राम
गुलाबी, पीली चादर बादल की ओढ़े
पंछियो के कोलाहल से
नींद कहाँ से आये
हुआ सवेरा
नहा कर निकला हो नदी से
पंछी खोजते दाना-पानी
सूरज के उदय की दिशा में
सूर्य घड़ी प्रकाश बिना सूनी
जल का अर्ध्य स्वागत हेतु
आतुर हो रही हथेलिया
सूरज के ऐसे ठाट
नदियों के तट सुप्रभात के संग
देवता,और इंसान देखते आरहे
इंसान ढूंढ रहा देवता
ऊपर देखे तो
देवता रोज दर्शन देते
ऊर्जा का प्रसाद
देते रोज सभी को धरा पर
सूरज के बिना जग अधूरा
ब्रम्हांड अधूरा
प्रार्थना अधूरी

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच