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आज भी महफूज नही है बेटियॉ

आज भी महफूज नही है बेटियॉ

कौन कहता है बेटियॉ महफूज है, बिल्कुल महफूज नही है । मानती हूँ पहले से अधिक आज उन्हे स्वतंत्रता मिली जरूर है लेकिन उनकी स्वतंत्रता समाज में विचरते ईंसान रूपी भेड़ियों के ऑखो मे खटकते रहतें है ,हमेशा अपने हवश के शिकार बनाने के लिये किसी न किसी लड़कियो पर भेड़ियों के भॉति टूट पड़ते है जैसे उन्हे पता ही नही कि उनके घर मे भी मॉ ,बहन ,बेटी ,बहु इत्यादि हैं। रास्ते चलते लड़कियो को छेड़ना उनकी फितरत बन चुकी हैं।
सब तो सब ये ऑटो चालक , रिक्सा चालक भी जिनका कोई औकात ही नही उनका जीवन बस ऑटो ,रिक्सा मे ही सिमट कर रह गया है वो भी किसी अकेली लड़की को कही जाते हुये देख छेड़ने से बाज नही आते , ये भी नही देखते कि मेरे से उम्र मे बड़ी है या छोटी उन्हे तो बस अपने जबान का आनंद लेना हैं।
रोज आये दिनों अखबार ,न्यूज मे मोटे अक्षरो मे पढने और देखने को मिलता है कि स्कूल जाते समय एक बच्ची का अपहरण, कुछ युवको ने मिल शाम को ऑफिस से घर जाते हुये युवति को रेप कर जान से मार दिया इत्यादि पढने को मिलता हैं। क्या इस पर कभी किसी ने आवाज उठाई है बल्कि कुछ लोग अपने ऑखो से देखते हुये भी मूक दर्शक की भॉति खड़े रहतें हैं । क्या मतलब उन्हे दूसरे के लिये कुछ बोलने की फालतू का झंझट अपने सिर मढने की लेकिन ये भूल जाते है कि कभी मेरी बेटी की भी बारी आ सकती हैं। हॉ कुछ लोग आज भी इस समाज मे है जो इन सब के विरूद्ध आवाज उठाते है लेकिन इनकी संख्या कम होने के कारण उनकी आवाज कही दब के रह जाती है और यह घिनौनी हरकते कम होने के बजाय बढते ही जा रहा हैं।
तो क्या हम इसे ही कह सकते है कि बेटियॉ महफूज है जो कही अकेली स्वतंत्र रूप से सुरक्षीत आ जा नही सकती । हम ये मानते है कि आज बेटियॉ स्वतंत्र है कुछ करने को,अपने पैरो पर खड़ी है ,हर दिशा मे नाम कमा कही है ,हर क्षेत्र मे अपना पहचान बना रही है सच कहा जाये तो लड़को से कम नही है लड़कियॉ लेकिन कही भी महफूज नही हैं।
आखिर ऐसा कब तक होते रहेगा कब तक बेटियॉ इन दरिंदो से डर कर रहेगीं।

निवेदिता चतुर्वेदी’निव्या’

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४