कविता

गरीब की जिंदगी

सचमुच
गरीब की जिंदगी
एक पान के बीडे की तरह
सर्वत्र सुलभ है
उसे जब चाहो
तब खरीद लो
और जब चाहो
तब थूक दो
पर हम
यह भूल जाते है कि
हमारा मुख उस की बदौलत ही लाल हैं।

 

देवेन्द्रराज सुथार

देवेन्द्रराज सुथार , अध्ययन -कला संकाय में द्वितीय वर्ष, रचनाएं - विभिन्न हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। पता - गांधी चौक, आतमणावास, बागरा, जिला-जालोर, राजस्थान। पिन कोड - 343025 मोबाईल नंबर - 8101777196 ईमेल - devendrakavi1@gmail.com