गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

कोरे कागजों के भाव बिकता था रद्दी में

उसने एक नजर क्या देखा दाम बढ़ गया

उठाकर हाथों से यूँ सीने में बंद कर दिया

उसने एक ग़ज़ल जो लिखी दाम बढ़ गया

उसकी लिखी ग़ज़ल में खुद को पढ़ता हूँ

मैं खुद की खूबी क्या सीखा दाम बढ़ गया

नकाबों के पीछे छुपा हुआ एक  चेहरा था

दर्पण में तस्वीर जब दिखा दाम बढ़ गया

कूड़े कबाड़ से भी कम मेरी औकात होती

किसने कन्धों पर हाथ रखा दाम बढ़ गया

आदर्श सिंह

आदर्श सिंह

नाम:- आदर्श सिंह/Adarsh Singh पिता का नाम:-हंशमनी सिंह/ Hansmani Singh वर्तमान पता:- ऊदलाबाड़ी; dist:-जलपाईगुड़ी;post:-मनाबारी Contact :-7602998143 E-mail:--adarsh708singh@gmail.com west Bengal शिक्षा:- 11वी में फिलहाल School:-CAESAR SCHOOL D.O.B.:-05-01-2001