गीत/नवगीत

जागो जागो बुंदेलखंड जागो

जागो जागो बुंदेलखंड जागो
जागो जागो बुंदेली युवा जागो
हाथ दोनों उठाके राज मांगो
बदलो तदवीर से अपनी किस्मत
छोड़ दो मौन रहने की आदत
गरजना करने हक अपने मांगो
जागो जागो बुंदेलखंड जागो
जागो जागो बुंदेली युवा जागो
आजादी का जश्न मनाते गुजरे सालोंसाल
पर देखो बुंदेलखंड को है कितना बदहाल
लुट रहा यहां का खजाना
लखनउ को है तनिक फिक्र ना
आल्हा उदल की संतति हो तुम
सोचकर भीरूता मन के त्यागो
जागो जागो बुंदेलखंड जागो
जागो जागो बुंदेली युवा जागो
नेता अफसर दोनों यहां पे हो रहे मालामाल
छाती चीरकर इस धरती को बना रहे कंगाल
तंत्र यहां का गूंगा बहरा
बस कागज पर देता पहरा
अपनी किस्मत स्वयं रचेंगे
अब यह प्रण लेकर जागो
जागो जागो बुंदेलखंड जागो
जागो जागो बुंदेली युवा जागो
वर्षों से चल रही सियासत
बदल रही ना क्षेत्र की किस्मत
नेताओं की दोहरी चाल
बुंदेली जन जन है बेहाल
राहत के जो पैकेज आए
अब उनका हिसाब मांगो
जागो जागो बुंदेलखंड जागो
जागो जागो बुंदेली युवा जागो
सूखा जब जब यहां मंडराए
नेता अफसर प्लेन से आए
राहत का करने ऐलान
हो जाते सब अंतरध्यान
पुनरावृत्ति न हो इन सबकी
यही सोचकर राज मांगो
जागो जागो बुंदेलखंड जागो
जागो जागो बुंदेली युवा जागो
गर जो जागे नहीं समझ लो
प्रबल भंवर में तुम्ही घिरोगे
मौन रहे थे क्यों हम अब तक
यही सोच सिर अपना धुनोगे
भावी पाीढ़ी के हित खातिर
उठो जगाओ दूजो को औ अपनी तंद्रा त्यागो
जागो जागो बुंदेलखंड जागो
जागो जागो बुंदेली युवा जागो
उमेश शुक्ल

उमेश शुक्ल

उमेश शुक्ल पिछले 34 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। वे अमर उजाला, डीएलए और हरिभूूमि हिंदी दैनिक में भी अहम पदों पर काम कर चुके हैं। वर्तमान में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय,झांसी के जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान में बतौर शिक्षक कार्यरत हैं। वे नियमित रूप से ब्लाग लेखन का काम भी करते हैं।