राजनीति

दद्दा ज़ी

हमारे गांव के बगल में एक दद्दा जी है जो स्वभाव से अक्खड़ और घोर राष्ट्रवादी. ८७ साल उम्र होने के बावजूद चेहरे पर वही चमक और सिंह के दहाड़ जैसी आवाज. दिन भर गाय भैंस चराना और आल्हा, राणा प्रताप और क्रांतिकारियों के बहादुरी तथा त्याग के गीत गाना उनकी दिनचर्या है. साफगोई तो इतनी की सामने वाले के मुँह पर उसके सारे ैबो का बखान कर देते है जिससे इस लोभी समाज में वे स्वीकार्य नहीं है. लेकिन कभी कभार कुछ लोग मजा लेने के गरज से उन्हें छेड़ जरूर देते है और दद्दा जी फायर हो जाते है. एक दिन मैंने भी यु ही कह दिया की क्या भाजपा भाजपा करते रहते है, क्या मिला भाजपा से आपको? दद्दा जी गंभीर हो गए, मैंने पहली बार उन्हें इतना गंभीर होते देखा है. बोले फिर ऐसा कभी मत कहना ! भगत सिंह को क्या मिला, सुभाष बाबू को क्या मिला, शेखर को क्या मिला? ६५ साल से यही तो हो रहा है, हमें क्या मिला? कांग्रेस लोगो की सोच को यहाँ तक पहुंचा दिया है. मै बताता हु मुझे क्या मिला ! दुनिया की बात छोड़ो, चीन पकिस्तान की बात छोड़ो, नेपाल लंका तक हमसे सीधे मुह बात नहीं करते थे लेकिन आज पूरा विश्व हमारे सामने घुटनों के बल खडा है. इसी मिलने न मिलने की संस्कृति ने आज देश को बिखंडित होने के कगार पर खडा कर दिया है, कोई कहता की आरक्षण नहीं दोगे तो हम बौद्ध इसाई मुसलमान हो जायेंगे, कोई कहता है की देश शरिया के अनुसार चले, कोई कहता है की हमारी मांगे पूरी हो चाहे जो मज़बूरी हो. असहिष्णुता, अभिब्यक्ति की आजादी, तुष्टिकरण पहले ही देश का बहुत नुक्सान कर चुके है वोट के लिए उसे अब हवा मत दो. एक मिशन के तहत भारत में रह गए लोग कैसी कैसी चाले चल रहे है जिनको हिन्दुओ के एक बर्ग का द्वेश्बस समर्थन भी मिल जाता है. रोहंगिया प्रेम इस समय पुरे उभार पर है. कन्हैयावादी क्षात्रो की संख्या विद्यालयों में बढ़ता जा रहा है. विद्यालय तपस्या और अनुशासन का भूमि न होकर रंगशाला बनता जा रहा है जहा शोहदों पर सिर्फ हल्ला मचाया जाता है और पुलिस पर कश्मीरी लडकियों की तरह पत्थाबाजी की जाती है. बेटियों में एक नए चरित्र का सृजन किया जा रहा है. ताज्जुब होता है की जिन को बुर्के से बाहर रहने की आजादी नहीं है, चार पहिया चलाने की आजादी अब मिली है उसी बर्ग के लोग बी यच यू के क्षात्राओ के लिए ज्यादे चिंतित है. बनारस में तीन तीन विश्वविद्यालय है यहाँ कोई हलचल नहीं है लेकिन जेएनयू डीयू में आग लगी हुई है. भाजपा इन सारे बितान्दावाद से देश को बाहर लाने की कोशिश कर रही है, बस यही उसकी बुराई है.

राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय

रिटायर्ड उत्तर प्रदेश परिवहन निगम वाराणसी शिक्षा इंटरमीडिएट यू पी बोर्ड मोबाइल न. 9936759104

2 thoughts on “दद्दा ज़ी

  • राजकुमार कांदु

    आदरणीय पांडेय जी ! ये दद्दाजी तो कमाल के निकले । बात बात में सही बात कह जाना भी एक योग्यता किक निशानी है । सबके अंदर
    यह ।काबिलियत नहीं होती कि वह कोई भी बात साफ साफ कह सके और उनकी बात पूरी की पूरी साफगोई से लिखने के लिए आपका भी अभिनंदन ।

    • राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय

      राजकुमार जी , कमाल के आप भी हो जो सिर्फ तत्वों के अलावा किसी बात को नहीं ग्रहण करते /

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